Tuesday, May 16, 2017

माना कि हम यार नहीं !!


माना  कि हम यार नहीं
लो तय है की प्यार नहीं
फिर भी नज़रें न तुम मिलाना
दिल को एतबार नहीं..
ख्वाब मिले तुमको कोई
नींदों में मेरी बो जाना
थक जाओ जो बुनते बुनते
मुझ में ही तुम सो जाना
उनमें हो रातें कुछ ऐसी
जिनमें इंतज़ार नहीं !
फिर भी नज़रें न तुम मिलाना
दिल को एतबार नहीं !!
खो जाऊँ  जो मैं भी कहीं
मुझे ढूंढ कहीं से रख जाना
छील जाने का दिल करता है
इतना कुछ तुम बक जाना
रुकना नहीं तब तलक
जो हो जाऊँ तार-तार नहीं !
फिर भी नज़रें न तुम मिलाना
दिल को एतबार नहीं  !!
बात मिले जो मेरी कोई
उसको चाँद बना लेना
हरफ़-हरफ़ मौसम हो जाये
दिल अपना बहला लेना
बिन तुम्हारे तो मेरी ख़ामोशी भी
होती गुलज़ार नहीं !
फिर भी नज़रें न तुम मिलाना
दिल को एतबार नहीं।।।।।।।।।।।।।



7 comments:

VIVEK VK JAIN said...

इतना कम क्यूँ लिख रहे इन दिनों?

दिगम्बर नासवा said...

बहुत ख़ूब ... अक्सर प्यार में दिल पे ऐतबार नहि होता ...

Manjula B Shah said...

Nice writing pls do visit my blog to share your views

http://wazood.blogspot.in/

अमिताभ श्रीवास्तव said...

ब्लॉग छूट सा गया। किन्तु छूटा नहीं इतना भी कि आएं ही न। आपकी रचनाएं पढता हूँ। कमाल है।

Anonymous said...

नाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
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Parul kanani said...

Thank you...!!

Anonymous said...

So much better than the original... Really... :)



Vartika