कभी कभी कहानियाँ
यूँ खत्म हो जाती है !
वक़्त का मरहम मिलता नहीं
तो जैसे ज़ख्म हो जाती है !!
रिस जाती है आह भी
दिल के लहू में !
रंग में पड़कर प्यार के
आँखें भी नम हो जाती है!!
लफ्ज़ से लफ्ज़ जो कटता है
ख़ामोशी का रस्ता हटता है !
अपनी ही फिर नज़्म कोई
दिल पर सितम हो जाती है !!
बात नहीं कोई थमती है
धड़कन धड़कन रमती है !
पहन के दर्द का लिबास नया
सिसकियाँ मौसम हो जाती है !!
दिल के पागलपन में आखिर
क्यों साँसों से कट जाओ !
प्यार तो ऐसे मिलता नहीं
मगर ज़िन्दगी कम हो जाती है !!
10 comments:
दर्द का लिबास
vo kehte hai na katilana :) kuch aisi hi
siskiyaan mausam ho jati hai....
nazm koi dil par sitam ho jati hai...
ishq to badhta nahi,jindagi kam ho jati hai ...
ultimate!!
vakai nazm dil pe sitam hai :)
umda!!
Bahut jaroori hai dard ka hisaab karna ... marham kahaani ke saath chalna jaroori hai ...
क्या खूब लिखा है...
प्यार एक जन्म की कहानी भी तो नहीं हैं । जन्मों -जन्मों का बन्धन हैं। ........... ना जाने कितने जन्म लेने पड़े............
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