Wednesday, February 13, 2013

हस्ताक्षर !!

चाहिए तुम्हारे हस्ताक्षर
दिल के दस्तावेज पे
तुम ही तुम चस्पा हो
इश्क के हर पेज पे !
कुछ अधूरे से ख़त
जिनको है तुम्हारी लत
आ खड़े हैं अब
मरने की स्टेज पे !
ख्यालों के कुछ झुनझुने
अब भी है तुमसे सने
कुछ नहीं बदला है अब भी
खेल के इस फेज पे !
तन्हाई अब भी है कहीं मिस
जिंदगी भर रही है फीस
टुकड़ों में बिखरा पड़ा हूँ
ख़्वाबों की सेज पे !

Thursday, February 7, 2013

इस वैलेंटाइन !!!



जिंदगी मरती रही है
इश्क के बुलबुलों पर
और मेरी तन्हाई
लिखती रही है दिलों पर
अब भी सब कुछ गोल ही है
छितरे से उस कांच में
ख़त सुलग रहे है उसके
चाँद की उस आंच में
और बढ़ता जा रहा है
धुआं जैसे लबों पर !!
नींद फिसलने लगी है
कतरे की एक छींक पर
फब रहे हैं हीर-रांझे
फिर से उस तारीख पर
एक जुमला जिन्दगी का
आज फिर है सबों पर !!
रोज़ के रोज़ वही
फटी सी खुसर-फुसर
सोच के लिबास में
अब फिट नहीं शायद उमर
अक्सर ही नए कयास
दिल के नए रबों पर !!
एक सिक्का धूप का
दिल की खरीद पर
एक रूपया चाँद का
इश्क की हर ईद पर
मेरे हरफ इस मर्तबा
ज़िन्दगी के ऐसे करतबों पर!!