एक अधूरी सी जिंदगी का
अधूरा सा पल
कह रहा है मुस्कुरा कर
चल, मेरे साथ चल !!
मैंने पूछा 'कहां'?
वो हंसकर बोला 'वहां'
जहाँ इस वक्त की कैद से
सारे लम्हे जा रहे है, निकल !!
अच्छा!वो कौन सी जगह है ?
आख़िर हो रहा ये क्या है ?
जो तुम भी रहे हो
आख़िर जाने को मचल !!
वो बोला 'तू है पगली'
बात है ये असली कि
संजो रहा है बीते वक्त को
वहां एक नया कल !!
कुछ नए रंग है जिंदगी के
कुछ नए लम्हे खुशी के
या कि कहो अधूरापन भरने को
है एक नई पहल !!
उम्मीद की नई सुबह
सुकून की रातों के साथ
ढलती सांझ के तले
जिंदगी की तस्वीर, रही है बदल !!
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लफ्ज़ वही हैं
ज़ज्बात वही हैं
अब भी वही रुपहले से ख्याल हैं
अब भी ताज़ा है
यादों का मंज़र
बस एक नए नज़रिए का सवाल है