When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Sunday, January 23, 2011
उफ़!
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
फिक्र में धुएँ का कश है
इतना ही तो इस पे बस है
एक घूँट सवाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
जाने कैसी है ये बोटी
रूखी-सूखी,खरी-खोटी
एक तमाशा तेरा मेरा
और तन्हाई से हासिल ताली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
ख़्वाबों से रोज छनती है
खामखा मुझ में सनती है
मन के जैसी जाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
कुछ बुझी सी धूप भी है
कुछ जली सी छाँव भी
और कहीं पे पड़ गए हैं
सोच के कुछ पाँव भी
उबली उबली सी है अब भी
गरम चुस्की भरी ख्याली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
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