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न जाने कब जुड़े हम
और कब बिछड़ गए
जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!
कहने को थे हमसफ़र
पर थी नही इतनी ख़बर
चलते चलते दोनों के
रास्ते ही बदल गए !!
साथ होकर भी उतने ही तन्हा थे
संग होकर भी न जाने हम कहाँ थे ?
दोनों के बीच न जाने कब बढे फासले
हमसे बहुत दूर हमारे सपने निकल गए !!
एक अजनबी से मोड़ पे फिर से हम टकरा गए
दो पल के लिए मन एक दूजे के पास आ गए
नादान थे ये न समझ पाए,जब एक दूजे से टकराए
कि इस मुलाकात में दिल टूट कर बिखर गए !!
आंखों में कुछ चुभा भी था
दोनों ने संग ढूंढा भी था
वो टूटे ख्वाबों के टुकड़े
बहकर न जाने किधर गए ?
बरसों बाद आंसू छलके थे
आज दो दिल बहुत हल्के थे
ये महसूस करके कि
वो तन्हा से लम्हे मर गए !!