When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Tuesday, June 29, 2010
जीवन............
बस आज फिर यूँ ही वो बचपन याद आया
किसी मासूम सी जिद पे सिसकता मन याद आया!!
कैसे जिए वो पल अपने ही ढंग में
रंग लिया था जिन्दगी को जैसे अपने ही रंग में
आज देखा जो खुद को,वो सब याद करके
ऐसा लगा कोई भूला सा दर्पण याद आया!!
वो रंग-बिरंगी सी सपनों की किश्ती
वो भूली सी रिमझिम की भोली सी मस्ती
कहाँ छोड़ आया वो मिटटी के खिलोने
परियों की कहानियों से अपनापन याद आया!!
पलता हर पन्ना,जिंदगी थी कोरी
मन की कडवाहट में गुपचुप थी लोरी
मैं खोज रहा था जब अपने जीवन का आकार
तो मुझको बस वो हाथ का 'कंगन' याद आया!!
चारो ही तरफ जैसे तब बिखरे थे उजाले
मुझसे लिपटे अँधेरे को अब कौन संभाले
कैसे भूल गया मैं वो अम्बर का पहाडा
मुझे चरखे वाली नानी का संग याद आया॥
आज सब कुछ याद करके जैसे एक सवाली था मैं
बहुत कुछ पाकर भी जैसे खाली था मैं
जिंदगी को भूल,खुद को कैसे जी रहा था मैं
बहुत रोया मैं,जब मुझे अपना जीवन याद आया!!
(कंगन-माँ का कंगन)
Tuesday, June 8, 2010
चलो रूमानी हो जाएँ :)
आ,दोनों अपनी उँगलियों से पानी को छेड़े
और बैठे बैठे ख़ामोशी को यूँ उधेड़े
कि हर लफ्ज़ खुद में कहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
आ जिंदगी फिर कभी न ऐसे छलके
हो जाये दोनों यूँ मन से हल्के
हर कतरा जिंदगानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
इश्क के दो गरम प्याले
बस अब तो हम लबों से लगा ले
कि पीते ही हर एहसास रूहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
साँसों में घुलते ठंडी हवाओं के झोंकें
दबी हसरतों को मिलते से ये मौके
इस से पहले कि मंज़र आसमानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाये ॥
तुझ मुझे में अब भी है वो बातें
वो सोये से दिन,वो जागी सी रातें
खाते में और एक शाम सुहानी हो जाये
इन बूंदों की गिरफ्त में चलो रूमानी हो जाएँ ॥
Thursday, June 3, 2010
न डूबे!
देख! तेरे आंसूओं से कहीं किनारा न डूबे
नम से ख़्वाबों में रात का कोई तारा न डूबे!!
मुझे खबर है कई रोज से तुम सोये नहीं हो
थक भी गए हो इतना कि और रोये नहीं हो
भर गया है किसी हद तक तेरे मन का समन्दर
याद रखना!कहीं इसमें तेरा कोई प्यारा न डूबे!!
चाँद भी देख रहा है, सब कुछ बादलों की ओट से
रात सिहर रही है, टूटे ख़्वाबों की चोट से
चांदनी झिलमिला रही है फिर भी तुझ में
देख!तेरे दिल को रोशन करता ये नज़ारा न डूबे!!
मुझे अपना समझ, दिल की दिल से बात होने दे
मुझे तन्हा न कर,बस अपने साथ होने दे
बना ले मेरे दिल को अपनी कश्ती
ये प्यार तेरा मेरा फिर दोबारा न डूबे!!
समेट लेने दे आंसूओं को, पलकों की कोर से
भरोसा कर,न होगी कोई गलती मेरी ओर से
देख सकता नहीं जिंदगी को और यूँ छलकता
है कोशिश यही,ख्वाहिश कोई बेसहारा न डूबे!!
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