Wednesday, December 30, 2009

नव वर्ष !!


कुछ लफ्ज़ चुराए है
वक़्त की किताब से !
और कुछ लम्हे
गुजरे हुए ख्वाब से !!
अभी ढूंढ रहा हूँ
शायद खुद को
अपने ही किसी सवाल में
छुपे जवाब से !!
बीती सी बातों को
गुजरी सी रातों को
दोहरा रहा हूँ जैसे
बस अपने आप से !!
ये जिंदगी कुछ
नया पाने को चल दी है
और मुझको आखिर क्यों नहीं
इतनी जल्दी है ?
चारो तरफ ये शोर है
आने को नया दौर है
ये सोचकर होने लगे है
यादों के पन्ने ख़राब से !!
मैं बोना चाहता हूँ
नयी सोच अपनी उम्मीद में
पाना चाहता हूँ नयापन
दिल की मुरीद में
मैं तोलना नहीं चाहता
अपने लम्हों को, घडी से
जज्बा है नया तो सब है नया
मेरे हिसाब से !!


नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !!

Saturday, December 26, 2009

सिर्फ!


सोचता हूँ मैं यहीं
कि शायद कभी मैं कहीं
घुल पाऊँगा क्या
तेरे नीले रंग में ?
कोई तो आकार मिले
इस जीवन का सार मिले
ख्वाब बन उलझा रहूं
तेरी आँखों की पतंग में !
तेरी उम्मीद जब कभी
नींद में अंगड़ाई ले
रात आकर चुपके से
तेरी आँखों से स्याही ले
हुस्न तेरा चांदनी में
चाँद से वाह-वाही ले
और जागे सुबह तो
बस तेरी ही उमंग में !
देखकर तुमको जब
आईने भी आहें भरने लगे
करके रोज दीदार तेरा
बेसब्र सूरज ढलने लगे
जिंदगी की बात हो तो
जिक्र तेरा चलने लगे
तन्हाई भी रहने को है
बेताब तेरे संग में !
ख्वाहिशें दिखना चाहती है
तुझ सा तेरे लिबास में
हर एहसास मिटने को
बैठा है तेरी आस में
देखना बाकी है कुछ
तो बस यही बाकी है अब
किस तरह ढलती है प्यास
अब सिर्फ तेरे ढंग में !

Tuesday, December 22, 2009

कर ले


आँखों में जो चुभते है
और फिर कहाँ रुकते है
उनसे मन को तर कर ले
छोड़ आ उनको फिर कहीं दूर
ऐसा न हो फिर वो मन में घर कर ले !
इश्क बड़ा ही तीखा है
जिसने इसको सीखा है
भूल गया फिर वो सब कुछ
बिन इसके सब फीका है
फिर भी पैबंद लगाकर तू
साँसों की थोड़ी फिकर कर ले !
एहसास के कच्चे धागों को
यूँ ही न तू उलझाये जा
इसका रंग मिटटी का है
न ख्वाबों की परत चढ़ाये जा
तुझको खुद की हो न हो
आईने की थोड़ी कदर कर ले !
कागज़ की नाव बना करके
ना तू ये भंवर तर जायेगा
अपने मन को कोई टीस ना दे
वरना ये आँखों में भर जायेगा
ये जीवन, बचपन का खेल नहीं
पहले थोड़ी सी उमर कर ले !

Monday, December 21, 2009

आना जिंदगी...


मेरे घर आना जिंदगी
न करना कोई बहाना जिंदगी
मेरे घर आना जिंदगी !!
देना मौका बस एक मुलाकात का
एक पल अपने साथ का
वक़्त की बंदिशों से परे
कोई लम्हा दिल की बात का
बहुत कुछ मुझको सुनना है
तुम भी कुछ कह जाना जिंदगी !!
मैं तुमको दूंगा सब बता
माफ़ कर देना हर खता
तुम तक पहुँचने के लिये
देना मुझको मेरा पता
मेरे हर जिक्र में तुम हो
तुम फिक्र मेरी भी कर जाना जिंदगी !!
आज के बाद जो भूले से हम मिले
न करेंगें इस तरह शिकवे-गिले
ये वादा करो मुझसे
चलते रहेंगें ये सिलसिले
मुझे देना, तुमको जीने की तमन्ना
ख्वाहिशों को मिले कहीं ठिकाना जिंदगी !!
दिल में कोई एहसास ये जरा सा
रहे न ख्वाब कोई भी प्यासा
मन बन जाये न रेगिस्तां
रख आँखों को हमेशा भरा सा
बस तेरे तस्सवुर में हमेशा
छलकता रहे पैमाना जिंदगी !!
सुलगना मुझ में तुम
यूँ भी साँसों के आखिरी कश तक
मैं इस इंतज़ार में रहूँगा
कि तुम अब शायद दो दस्तक
मैं भूला नहीं तुम्हे
तुमने ही न पहचाना जिंदगी !!

Thursday, December 17, 2009

संग आना है...........


ख्वाब चाहकर भी न सो पाया
रात की खुसर-फुसर में
कुछ तो हुआ था शायद
जरुर चाँद के घर में !
फलक की चादर से गिरे
कल कुछ तारे
जमीन पर आकर
जैसे बिखरे से थे सारे
मैंने पूछा जो क्या हुआ ?
कोई बोला होकर रुआं
अब न चमकेंगें हम
चाँद के संग इस सफ़र में !
चाँद को लगने लगा है
उसका चमकना फीका है
जब तक हम सारे
चमकेंगें अम्बर में
कर दिया है बेघर हमको
शायद इसी डर में !!
मैं फिर बोला
मेरे ख्वाबों में आज
तुम्हारा ही जिक्र है
लौट जाओ रात को भी
कहीं न कहीं तुम्हारी फिक्र है
इस तरह से खफा होकर चमकना न छोड़ो
नीली चादर को अपनी आभा से ढकना न छोड़ो
तुम रात के दुलारे हो
प्यारे हो सबकी नज़र में !!
बिन तुम्हारे कहानी चाँद की रह जाएगी कोरी
कौन सुनाएगा रातों में फिर मीठी लोरी
कौन ले जायेगा सपनों में हमको आखिर
कैसे करेंगें हम फिर आखिर
ख्वाबों की चोरी
तुम्हे चमकते रहना
चाँद को भी ये कहना है
तुम्हे संग संग आना है
फिर मेरे ख्वाबों के शहर में !!