ख़ामोशी भी दो पल जी ले
बात कोई आहिस्ता कर दो !
कोई रहे न मुझ सा तन्हा
तन्हाई को शीशा कर दो !
दो बातें तेरी और मेरी
शायद कुछ ऐसा बुन जाये
पहन जिसे नया रंग चढ़े फिर
खत्म पुराना किस्सा कर दो !
रात पहेली सी लगती है
आँखों में बरबस जगती है
इस से पहले चाँद छिपे फिर
दिल का एक कोरा हिस्सा कर दो !
मेहंदी के कुछ ज़ख्म हरे हैं
फिर भी दोनों हाथ भरे हैं
ऐसे भी एक उम्र कटे तो
जिंदगी से मेरा रिश्ता कर दो !