![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjtr6ZFSg6s_CwwuYoQKlm-5QfX82OINXlkRaT9kpLUAOWYDmtkw-yh2_skAuuP7U2rfyRzQGw-96uPfmNFI318N24k-lj2sUFJ0zc1f18z_0szHGXu4SedYUhUEisXIsgY6VlIQm162IM/s200/September-moon.jpg)
नींद की हथेली पर
एक ख्वाब रख गए थे तुम
या कि मेरी उम्र का
हिसाब रख गए थे तुम!
यूँ भी कुछ नमकीन था
तेरा अनकहा आफरीन था
ख़ामोशी की आह पर
एक किताब लिख गए थे तुम!
हरफ-हरफ जैसे बरस
मैं देर तक जीता गया
जिंदगी के सवाल पर
शायद एक जवाब रख गए थे तुम !
सुलगी तिल्ली रात की
और चाँद जैसे जल उठा
जानता हूँ वो बदरंग हुआ
तो नीला नकाब रख गए थे तुम !