When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Wednesday, August 31, 2011
मेरे घर आई एक नन्ही परी :)
पिछले कुछ समय की व्यस्तता के रहते मैं अपने ब्लॉग पर नहीं आ पाई..जिसके चलते आप में से अधिकतर की यही शिकायत थी कि मैं आखिर हूँ कहाँ...साथ ही कुशल-मंगल होने की कामना भी की ,जिसके लिये मैं आप सभी की आभारी हूँ.....व्यस्तता का कारण कुछ और नहीं ..एक ख़ुशी है जिसने ७ जुलाई को जन्म लिया ... और इसे मैं आप सबके साथ बांटना चाहूंगी...और सभी को तहे-दिल से धन्यवाद देना चाहूंगी...:)
Monday, August 15, 2011
एक रोज..
मैं भटकता था रोज ही जैसे अपने आप में
खुद से खुद तक तय किये फासलों की नाप में
वहीँ एक रोज मेरा साया मेरे साथ लग गया था
और जिंदगी सा कुछ मेरे हाथ लग गया था !
कुछ जल रहा था मुझ में
सूरज था या कि चाँद था
कोई भोर का टुकड़ा सा
या फिर सुनहरी सांझ था
यूँ लगा कि जैसे तन्हाई की तिल्ली से मैं ही सुलग गया था !
मुझको मेरे होने का एहसास जो दिन-रैन था
इतना तो पहले भी मैं खाली होकर भी न बेचैन था
अपने वजूद क गुमनाम से सवाल पर
हाथ जैसे कोई उलझा हुआ जवाब लग गया था !
हो गया था आइना खुद ,मेरी ही तस्वीर सा
चुभ रहा था जैसे 'मैं' खुद में ही एक तीर सा
कुछ रंग फैलने लगे थे फिर पानी पर
मुझको मालूम था दिल से फिर कोई ख्वाब लग गया था !
खुद से खुद तक तय किये फासलों की नाप में
वहीँ एक रोज मेरा साया मेरे साथ लग गया था
और जिंदगी सा कुछ मेरे हाथ लग गया था !
कुछ जल रहा था मुझ में
सूरज था या कि चाँद था
कोई भोर का टुकड़ा सा
या फिर सुनहरी सांझ था
यूँ लगा कि जैसे तन्हाई की तिल्ली से मैं ही सुलग गया था !
मुझको मेरे होने का एहसास जो दिन-रैन था
इतना तो पहले भी मैं खाली होकर भी न बेचैन था
अपने वजूद क गुमनाम से सवाल पर
हाथ जैसे कोई उलझा हुआ जवाब लग गया था !
हो गया था आइना खुद ,मेरी ही तस्वीर सा
चुभ रहा था जैसे 'मैं' खुद में ही एक तीर सा
कुछ रंग फैलने लगे थे फिर पानी पर
मुझको मालूम था दिल से फिर कोई ख्वाब लग गया था !
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