
कुछ लफ्ज़ चुराए है
वक़्त की किताब से !
और कुछ लम्हे
गुजरे हुए ख्वाब से !!
अभी ढूंढ रहा हूँ
शायद खुद को
अपने ही किसी सवाल में
छुपे जवाब से !!
बीती सी बातों को
गुजरी सी रातों को
दोहरा रहा हूँ जैसे
बस अपने आप से !!
ये जिंदगी कुछ
नया पाने को चल दी है
और मुझको आखिर क्यों नहीं
इतनी जल्दी है ?
चारो तरफ ये शोर है
आने को नया दौर है
ये सोचकर होने लगे है
यादों के पन्ने ख़राब से !!
मैं बोना चाहता हूँ
नयी सोच अपनी उम्मीद में
पाना चाहता हूँ नयापन
दिल की मुरीद में
मैं तोलना नहीं चाहता
अपने लम्हों को, घडी से
जज्बा है नया तो सब है नया
मेरे हिसाब से !!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !!