
जो ख्वाब देखा था अक्सर
भर लिया था जीवन में ।
हर तरफ़ बह रहा था जैसे
बस तू ही मन में ।
आज चुभा कोई लम्हा
और तू फिर भर आया है ।
आंखों के सामने तो बस
धुँआ ही छाया है ।
जब भी होता है ऐसा
तू ही मन से रिसता है ।
ये इन आंखों का
इस ख्वाब से कैसा रिश्ता है ?
ये रिश्ता ख्वाब से है
या कि उस धुंधलेपन से,
जो आंखों में भर रहा है
पूछती हूँ बस मन से ।
मेरे मन ने आज
फिर से मुझे समझाया है ।
ये धुंआ है इस लिए
कि शायद कोई ख्वाब फिर सुलग आया है ।
अगर कोई ख्वाब मेरा
फिर से जला रहे हो तुम ।
इतना है बस इस धुएं में
खोए से नज़र आ रहे हो तुम ।
हो सके तो ख़ुद को,मुझको
या कि सब कुछ सुलगा दो ।
और तुम्हारे पास मेरा जो भी है
सब जला दो
सब कुछ जला दो.....
12 comments:
behtarin rachna...............
iske age shbd nahi bolne ko
Marm sparshee rachna.
{ Treasurer-T & S }
most surprising and beautiful nazm.
बेहतरीन रचना। बधाई
ये धुंआ है इस लिए
कि शायद कोई ख्वाब फिर सुलग आया है ।
कितना खूबसूरती से आपने भावो को अभिव्यक्त किया है.
बहुत ही -- बहुत ही खूबसूरत रचना
बहुत ही भावपुर्ण सिर्फ धुआँ धुआँ दिख रहा है ......बहुत प्रवाहमय पंक्तियाँ है .....
"ho sake to" try to come out this pain. though its difficult because you find happiness in that...but
ho sake to...
sundar rachana...
Poonam
आप अपने भावों को बेहतरी से प्रस्तुत करती हैं
अगर कोई ख्वाब मेरा
फिर से जला रहे हो तुम ।
इतना है बस इस धुएं में
खोए से नज़र आ रहे हो तुम ।
बहुत ही खूबसूरत लाइनें हैं.. दिल को छू गईं..
thanx...
kamaal hai!
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