एक कप चाय की प्याली
एक नज्म गुलजार की
यूं ही उम्र बढ जाये
ऐसे प्यार की।।
गर्म सी चुस्कियों में
कुछ लफ्जों की दरकार हो
भीनी-भीनी सी लज्जत में
मीठी सी यादें उस यार की।।
कोई बात चुप सी
होठों पर रखी रहे
और घुल जाये खामोशी
अनकहे एतबार की।।
एक घूंट जो भरे
दिल ही जैसे जल उठे
और एक आह निकले
इश्क के खुमार की।।
5 comments:
सुन्दर
चाय की प्याली,गुलज़ार की नज्में .... जिंदगी काश ऐसे ही बीत जाये ...
कमल की नज्म है ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-12-2017) को "पैंतालिसवीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर शुभकामनायें " चर्चामंच 2809 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह, बहुत खूब
Bahut khoob janaab Kya najm pesh ki hai
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