मैं चुप हूँ
हाथों में सुनहरी धूप मलने तक
और फिर ऐसे ही
उस कोरे से चाँद के जलने तक !!
मुझे मालूम है
तुम यूँ ही नहीं लौट जाओगे
कुछ तो रह जाओगे यहीं
यादों के खलने तक !!
अच्छे भी लगोगे शायद
कुछ हरे होकर
थोड़ी सी जिंदगी
से भरे होकर
टूट जायेंगें खिलोने मगर
तुम्हारा मन बहलने तक !!
इतना तो है कि
इश्क अब खुरदुरा होगा
चुभेगा टीस सा
इस से ज्यादा क्या बुरा होगा
लौट पाऊँगी नहीं मैं
खुद में,तुम्हारे निकलने तक !!
ख़त के लिफ़ाफे भी कि
जैसे हो गए खंडहर
ख़ामोशी अक्सर ही
मचाती है लफ़्ज़ों का बवंडर
यही रुक जाओ बस अब
इश्क का मतलब बदलने तक !!
हाथों में सुनहरी धूप मलने तक
और फिर ऐसे ही
उस कोरे से चाँद के जलने तक !!
मुझे मालूम है
तुम यूँ ही नहीं लौट जाओगे
कुछ तो रह जाओगे यहीं
यादों के खलने तक !!
अच्छे भी लगोगे शायद
कुछ हरे होकर
थोड़ी सी जिंदगी
से भरे होकर
टूट जायेंगें खिलोने मगर
तुम्हारा मन बहलने तक !!
इतना तो है कि
इश्क अब खुरदुरा होगा
चुभेगा टीस सा
इस से ज्यादा क्या बुरा होगा
लौट पाऊँगी नहीं मैं
खुद में,तुम्हारे निकलने तक !!
ख़त के लिफ़ाफे भी कि
जैसे हो गए खंडहर
ख़ामोशी अक्सर ही
मचाती है लफ़्ज़ों का बवंडर
यही रुक जाओ बस अब
इश्क का मतलब बदलने तक !!
16 comments:
बस .....
यहीं रुक जाओ
इश्क का मतलब
बदलने तक ....
बहुत खूब कहा .../
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
बहुत अच्छे!
लिखते रहिये ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. ....
bahut khoob
nice ....
http://boseaparna.blogspot.in/
इतना तो है कि
इश्क अब खुरदुरा होगा
चुभेगा टीस सा
इस से ज्यादा क्या बुरा होगा
लौट पाऊँगी नहीं मैं
खुद में,तुम्हारे निकलने तक ...
कभी कभी कुछ पल ... जो किसी के साथ होते हैं ... जीवन बनना चाहते हैं ... इश्क ही नहीं होता अंत अपने आप में लौटने के लिए ....
गहरा भाव लिए हैं शब्द ... लाजवाब ... बहुत दिनों बाद पढ़ना हुआ आपको ...
वाह वाह - इश्क अब खुरदरा होगा
लौट पाऊँगी नहीं मैं ख़ुद में तुम्हारे निकलने तक ......
प्रेम की कोमल अनुभूति इसीलिये तो खुरदुरी बन जाती है।
अच्छे बिम्बों के साथ एक अच्छी सी कविता।
सुन्दर रचना
कुछ हरे होकर
थोड़ी सी जिंदगी
से भरे होकर
टूट जायेंगें खिलोने मगर
तुम्हारा मन बहलने तक !!
खूबसूरत एहसास ...
रूक भी जाओ .....
very very sweet...
simply superb!!
बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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