Wednesday, October 28, 2009

हासिल..


मैं पूछता हूँ जिन्दगी से
तू, कब मुझको रास आएगी?...
मैं कब तलक नापता रहूँगा फासले
और कब तू ख़ुद पास आएगी ?...
कब सिखाएगी जीना?
ख़ुद को ही घूँट घूँट पीना
और कब ये तन्हाई
तेरे होने का एहसास दिलाएगी ?...
कब तलक रहूँगा मैं अजनबी ?
क्या मुझको तू अपना लेगी कभी ?
ख़ुद से दूर जाने की हसरत
क्या मुझे तेरे करीब ले जायेगी ?
मेरा होना,तेरे होने से अलग क्यूँ?
मैं ख़ुद में कुछ नही,तेरे होने से ही सब क्यूँ?
तुझको पाने से भी गर ख़ुद को कर न पाऊँ हासिल
ये बता किस किस हसरत को मुझ में, तू दफनाएगी ?

16 comments:

के सी said...

मैं ख़ुद में कुछ नही,तेरे होने से ही सब क्यूँ?

बहुत गहरी बात !

अजय कुमार said...

ख़ुद से दूर जाने की हसरत
क्या मुझे तेरे करीब ले जायेगी
बहुत खूब

M VERMA said...

और कब ये तन्हाई
तेरे होने का एहसास दिलाएगी ?...
घने एहसास की सुन्दर कविता

अनिल कान्त said...

वाकई बहुत गहरी बातें कह रही है ये कविता

mehek said...

तुझको पाने से भी गर ख़ुद को कर न पाऊँ हासिल
ये बता किस किस हसरत को मुझ में, तू दफनाएगी ? waah bahut khub

Apanatva said...

ख़ुद को ही घूँट घूँट पीना
और कब ये तन्हाई
तेरे होने का एहसास दिलाएगी ?...
bahut acchee rachana ahsas se sarabor rachana .

Apanatva said...
This comment has been removed by the author.
निर्मला कपिला said...

मेरा होना,तेरे होने से अलग क्यूँ?
मैं ख़ुद में कुछ नही,तेरे होने से ही सब क्यूँ?
बहुत गहरी संवेदना लाजवाब बधाई पारुल जी

Mishra Pankaj said...

बहुत सुन्दर कविता .... बधाई

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर !!!!!!!!!

Anonymous said...

thanx to all o f u

दिगम्बर नासवा said...

ज़िन्दगी अपने आप में वो paheli है जो कोई आज तक नहीं समझ paaya ......... आपका भी prayaas, जिंदगी से कुछ sawaal ...... बहुत achhee rachna है ..

BAD FAITH said...

मेरा होना,तेरे होने से अलग क्यूँ? येही तो पहेली है.
बहुत सुन्दर.

Unknown said...

its really a nice poem.

दीपक 'मशाल' said...

Pahli baar blog pe aaya, ek hi kavita hi padhi lekin kamaal ki hai....
samay nikal ke kabhi fir aata hoon. badhai

Jai Hind..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

तुझको पाने से भी गर ख़ुद को कर न पाऊँ हासिल
ये बता किस किस हसरत को मुझ में,
तू दफनाएगी ?

बहुत सुन्दर!