Sunday, March 22, 2009

याद..


फिर जीने की चाह हुई
देखा जब तुम्हे यादों के झरोखे से ॥
फिर बिखरे मन के पन्ने
तेरी एक झलक के झोंके से ॥
वो क्या दिन थे
जब छुप छुप कर
हम तुमको देखा करते थे
अपने दिल के कुछ लफ्ज़
खामोशी में लपेट कर फेंका करते थे
और रोक नही पाते थे ख़ुद को
ख़ुद के ही रोके से ॥
वो भी क्या रातें थी
बस जब तुमको सोचा करते थे
सपनों की बस्ती में
तुमको ही खोजा करते थे
निकल नही पाते थे तुमसे
औरों के भी टोके से ॥
पाया भी नही कि पहले ही
खोने से डर लगता था
तेरे होने से जिंदगी का वजूद भी
बस लम्हा भर लगता था
कुछ लम्हों में सिमट गई थी
अनकहे प्यार की कहानी
सब मिटता चला गया
समय के धोखे से ॥

14 comments:

Unknown said...

कविता के भाव बहुत अच्छे हैं । अगर तुकांतता की बात की जाये तो कुछ हद तक भटकाव है बीच की कुछ पंक्तियों में पहले वाली रचना से कुछ कम बेहतर बनी है ये । शुभकामनाएं ऐसे ही लिखती रहें ।

डॉ. मनोज मिश्र said...

फिर जीने की चाह हुई
देखा जब तुम्हे यादों के झरोखे से ॥....
गहन भाव |

mehek said...

कुछ लम्हों में सिमट गई थी
अनकहे प्यार की कहानी
सब मिटता चला गया
समय के धोखे से ॥ bahut badhiya

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अल्हड़पन की सारी बातें,
बड़ी सफाई से लिख डाली।
दर्द उभर आया शब्दों मे,
बनकर स्याही काली-काली।

आया ऐसा समय एक दिन,
थम सी गयी रवानी।
अन्तर्मन में छिपी हुई है,
वही पुरानी,एक कहानी।

समय बड़ा बलवान,
समय से सारा जग है हारा।
कल तक जो था मेरा,
अब वो करने लगा किनारा।

अनिल कुमार वर्मा said...

'उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए'

ऐसी ही होती हैं यादें...किसी के जीने का सहारा तो किसी के लिए आगे बढ़ने का संबल...अच्छी कविता..बधाई

MANVINDER BHIMBER said...

तेरे होने से जिंदगी का वजूद भी
बस लम्हा भर लगता था
कुछ लम्हों में सिमट गई थी
अनकहे प्यार की कहानी
सब मिटता चला गया
समय के धोखे से ॥
दिल से निकली हुई सुंदर rachna है

शोभा said...

वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

Anonymous said...

पचास प्रतिशत सफलता वाली प्रेम गाथा पर शानदार अभिव्‍यक्ति।

संगीता पुरी said...

सुंदर अभिव्‍यक्ति हुई है ...

श्यामल सुमन said...

तेरे होने से जिंदगी का वजूद भी
बस लम्हा भर लगता था
कुछ लम्हों में सिमट गई थी
अनकहे प्यार की कहानी

बहुत खूब। सुन्दर प्रस्तुति। कहते हैं कि-

अक्ल तय करती है लम्हों का सफर सदियों में।
इश्क तय करता है लम्हों में जमाने कितने।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

रंजू भाटिया said...

बहुत सुन्दर भावभीनी अभिव्यक्ति

Parul kanani said...

thanx 2 all of u

अनिल कान्त said...

मुझे बहुत अच्छी लगी पढ़कर .....

Unknown said...

hum tou pahle se aapke kayaal hain..bahut bahut aachha likhti hoon..really