Monday, December 29, 2008

समझ !!


न जाने कब जुड़े हम
और कब बिछड़ गए
जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!
कहने को थे हमसफ़र
पर थी नही इतनी ख़बर
चलते चलते दोनों के
रास्ते ही बदल गए !!
साथ होकर भी उतने ही तन्हा थे
संग होकर भी न जाने हम कहाँ थे ?
दोनों के बीच न जाने कब बढे फासले
हमसे बहुत दूर हमारे सपने निकल गए !!
एक अजनबी से मोड़ पे फिर से हम टकरा गए
दो पल के लिए मन एक दूजे के पास आ गए
नादान थे ये न समझ पाए,जब एक दूजे से टकराए
कि इस मुलाकात में दिल टूट कर बिखर गए !!
आंखों में कुछ चुभा भी था
दोनों ने संग ढूंढा भी था
वो टूटे ख्वाबों के टुकड़े
बहकर न जाने किधर गए ?
बरसों बाद आंसू छलके थे
आज दो दिल बहुत हल्के थे
ये महसूस करके कि
वो तन्हा से लम्हे मर गए !!

15 comments:

lata said...

Bahut badhiya.

Unknown said...

कहने को थे हमसफ़र
पर थी नही इतनी ख़बर
चलते चलते दोनों के
रास्ते ही बदल गए !!

bahut he badihya likha hai

ss said...

जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!"

बहुत खुबसूरत पंक्तियाँ| सच है जिंदगी की उलझन होती ही ऐसी है|

आपकी उलझन महसूस कर,
हम सोच में पड़ गए!|

आशीष कुमार 'अंशु' said...

सुंदर कविता

राजीव जैन said...

अति सुंदर

शोभित जैन said...

बरसों बाद आंसू छलके थे
आज दो दिल बहुत हल्के थे

bahut khoobsurat

निर्मला कपिला said...

jindgi bunte------ bahut baria likha hai bdhaai

vipinkizindagi said...

बहुत बढ़िया

vipinkizindagi said...
This comment has been removed by the author.
mehek said...

bahut khub

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

राजेश कुमार said...

देखिये मिलना बिछडना लगा रहता है लेकिन दोनो ओर ईमानदारी हो तो बिछडने के बाद मिलना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन आपकी कविता से यही लगता है आप बहुत दुखी हैं। देखिये यह सब कुछ किताब के पन्नों तक सीमित रहे तो बढिया है नहीं तो जिंदगी तबाह हो जाती है।

राजेश कुमार said...

देखिये मिलना बिछडना लगा रहता है लेकिन दोनो ओर ईमानदारी हो तो बिछडने के बाद मिलना बहुत अच्छा लगता है। लेकिन आपकी कविता से यही लगता है आप बहुत दुखी हैं। देखिये यह सब कुछ किताब के पन्नों तक सीमित रहे तो बढिया है नहीं तो जिंदगी तबाह हो जाती है।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Parul ji,
fir se ek bahut hee bhavnatmak kavita ke liye badhai,shubhkamnayen.Main apko writing field men carrear ke liye suggetion to de sakta hoon...and ican gide u also but i dont know how?
Hemant Kumar

फ़्र्स्ट्रू said...

न जाने कब जुड़े हम
और कब बिछड़ गए
जिंदगी बुनते बुनते
उलझनों में पड़ गए !!

इसके आगे पढ नही पाया .. एक तस्वीर हजार अल्फ़ाजों से ज्यादा होती है और आपकी तो यकीनन दस हजार अल्फ़ाजों से ज्यादा है.
माफ करियेगा लेकिन आपकी तस्वीर आपके ब्लोग से ज्यादा खूबसूरत है.