Saturday, May 11, 2013

डेढ़ इश्क़!

 तभी था ठीक,जब वो मौसमों को दिल में रखता था
डर सा लगता था ,जब कभी वो बारिश को बकता था !!
सुर्ख़ करके हरेक शाम, जो वो भरता था अपना ज़ाम
ख़्वाबों का नशेड़ी था ,कहाँ रातों से छकता था!
सुबह जो देख लेता था, दिल अपना सेक लेता था
सुनहरे लिबास में इश्क उसका खूब फबता था!
यूँ तो कोरी सी हवा थी,मगर उसकी तो दवा थी
ज़र्रे-ज़र्रे में जैसे बस एक वही महकता था !
रोज़ के चाँद गिनता था और चुपके से बीनता था
फिर आदतन खुश्क अम्बर को हँस करके तकता था!
लफंगे कूचे थे कहीं, लुच्ची गलियाँ थी कहीं
डेढ़ से इश्क़ में ,पगली सी फिजाएं भी चखता था!

30 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

रोचक पंक्तियाँ..डेढ़ इश्क..

ब्लॉग बुलेटिन said...

आज की ब्लॉग बुलेटिन १० मई, मैनपुरी और कैफ़ी साहब - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Manish aka Manu Majaal said...

इश्क तो छटांक भर ही काफी !
लिखते रहिये ...

दिगम्बर नासवा said...

शब्दो की जादूगरी ...
बहुत लाजवाब ... क्या कहने ...

इमरान अंसारी said...

डेढ़ इश्क.........उन्वान ही कमाल है..........खुबसूरत ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ..... बहुत दिनों बाद दिखाईं दीं ।

शिवनाथ कुमार said...

बहुत सुन्दर
लाजवाब
साभार!

Jyoti khare said...

ख्वाबों का वह नशेड़ी था
प्यार में सब चलता है
कोई तो बता दे प्रेम में ऐसा क्यों होता है
वाह मन की सुंदर अनुभूति
बधाई

आग्रह है पढ़ें "अम्मा" मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in

डॉ. मोनिका शर्मा said...

वाह ..... अलग सी रचना

Suman said...

सच में शब्दों की जादूगरी लगती है रचना ...आभार !

राहुल said...

शब्दों की अदाओं से बहकता डेढ़ इश्क.....

राहुल said...

शब्दों की अदाओं से बहकता डेढ़ इश्क......

Udan Tashtari said...

अरे, तुम ही गुम थी..कई बार सोचा भी तुमको..मगर तुम तो अपना नाम भी बदल बैठी...वैसे तो इस पर मुबारकबाद बनती है.,...मिठाई तक नहीं पूछी कंजूसी में...चलो, सुख है कि दिखी और सुखी...सदा खुस रहो...अनेक आशीष...ये गलियां भूलने वाली नहीं हैं..तो निश्चिंत रहो :)

ईमेल करना विस्तार से..क्या चल रहा है....sameer.lal@gmail.com

इधर कुच मजबूरियाँ बनी हुई हैं ब्लॉग से दूरी की मगर चिन्ता का विषय नहीं है बस समय परक...

Rajput said...

बहुत लाजवाब .

Onkar said...

बहुत अलग सी ग़ज़ल

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

आदरणीय नासवा जी ने सही कहा है शब्दों की जादूगरी,उपमा,उपमेय,उपमान में यह अनोखापन सचमुच ही सराहनीय.

Anonymous said...

bahut khoob....

Rahul said...

Bahut sundar.... Amazing is an understatement....

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

रोचक...... :-)
~सादर!!!

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

रोचक...... :-)
~सादर!!!

कविता रावत said...

डेढ़ इश्क का सुन्दर चित्रण ..बहुत खूब!

संजय भास्‍कर said...

संवेदनशील रचना...

संजय भास्‍कर said...

जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

पारुल जी ब्लाग पर आने के लिये खास तौर पर शुक्रिया कह रही हूँ क्योंकि मैं आपकी यह खूबसूरत कविता पढ सकी ।

wordy said...

uff...ye to katilana si hai
excellent!!

Unknown said...

अनोखी सोच अनोखा लेखन ...बहुत अच्छा लगा आपकी रचना पढ़कर :-)
..बहुत अच्छी प्रस्तुति है आपकी .. कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और पसंद आने पर ज्वाइन करें आप जैसे लिखने वालो से मुझे मार्गदर्शन भी मिलेगा और प्रोत्साहन भी ..शुक्रिया :-)

मन के अनकहे भावो को इस रचना में बहा दिया ..आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में मेरी नयी रचना  Os ki boond: मन की बात ...

Unknown said...

अनोखी सोच अनोखा लेखन ..बहुत अच्छी लगी आपकी रचना और आपका ब्लॉग दोनों :-) पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ बहुत उम्दा प्रस्तुति धेरे धेरे पुराणी रचनाएँ भी पढूंगी आपकी :-)
कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और पसंद आने पर ज्वाइन करें आप जैसे लिखने वालो से मुझे मार्गदर्शन भी मिलेगा और प्रोत्साहन भी ..शुक्रिया :-)

मन के अनकहे भावो को इस रचना में बहा दिया ..आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में मेरी नयी रचना  Os ki boond: मन की बात ...

inteviewquestionpolicy said...

बहुत अच्छा ब्लॉग है कभी हमारे ब्लॉग पर आने का भी कष्ट कीजिए आपको अच्छा लगेगा मेरे ब्लॉग में आपको टाइम मैनेजमेंट, टॉप हिंदी कोट्स, नॉलेज अबाउट फिल्म रन, अच्छी स्क्रीन में फिल्म खरीदिये --
www.aapkisaahayta.blogspot.

sandeep ola said...

बहुत अच्छा ब्लॉग है कभी हमारे ब्लॉग पर आने का भी कष्ट कीजिए आपको अच्छा लगेगा मेरे ब्लॉग में आपको टाइम मैनेजमेंट, टॉप हिंदी कोट्स, नॉलेज अबाउट फिल्म रन, अच्छी स्क्रीन में फिल्म खरीदिये

Ashish said...

its very nice read you in peaceful hours, specially nice presentation in this one!!!