Monday, September 20, 2010

ख्वाहिश..!


अपनी ख़ामोशी में भर लूं
तुम्हारी हिचकी
या कि तुम्हारे मन का
हर ज़ख्म चुरा लूं ।
वो जो चुभते हैं
होले-होले
यूँ भी कई रंग घोले
उन आंसूओं को ही
हरदम चुरा लूं ।
कब तक रहूँगा ऐसे
और तुमसे कहूँगा कैसे
क्यों न बिन कहे ही
तुम्हारे उतारे हुए
वो तन्हा से मौसम चुरा लूं ।
मैं पूछता फिरता हूँ
जहाँ भर में
तुम्हारे लफ़्ज़ों का ठिकाना
मौका मिले तो फिर
कोई तुम सी नज़्म चुरा लूं ।
वो अल्हड सी हसरत
जो अक्सर गोल हो जाती है
मिल जाये उसकी मिटटी
तो गीली सी हर कसम चुरा लूं ।
आती नहीं क्यों तुमको
नीली नींद की फिर एक सुबकी
इस फिराक में कि तुम सोओं
और मैं तुम्हारी जिन्द सी कलम चुरा लूं ।

71 comments:

Parul kanani said...

maine jab bhi gulzaar sahab ko padha hai..man mein aisa hi kuch reha hai..ye nazm unhi ko dedicate karti hoon :)

विनोद कुमार पांडेय said...

ek sundar abhivyakti...badhiya najm..

wordy said...

superbbbbbbbb!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आजकल मैं बहुत चूज़ी हो गया हूँ... सच्ची! बहुत ही चूज़ी... अब मुझे हर चीज़ बेस्ट ही चाहिए होती है... और मैं बेस्टेस्ट की ही तलाश करता हूँ... बिलो स्टैण्डर्ड से नफरत सी हो गई है.... इसी तरह मुझे ब्लॉग्गिंग में भी हो गया है... मैं अब बेस्टेस्ट पोस्ट्स ही पढ़ता हूँ... और उन पर कमेन्ट करता हूँ.... और रिदम ऑफ़ वर्ड्स उनमें से एक बेस्टेस्ट ब्लॉग है... और इसको बेस्टेस्ट बनाने वाला तो जेम (GEM) है .....कविता या लेखनी वही होनी चाहिए जो आपके दिल में उतर जाये... यू आर ग्रेट... विद इन्नेट फ्लो ऑफ़ वर्ड्स ... बेगेटिंग... फ्रॉम दा कोर ऑफ़ हार्ट....


रिगार्ड्स...

sonal said...

wow parul behad khoobsurat
दिल छूने वाली नज़्म लिखी है ,क्यों ना इसकी छुअन चुरा लूं
:-)

Amrit said...

Parul,

Nice one :) But I am not clear on one part:-

You wrote it as dedication to Guljarji - correct?

For a moment, I though Guljarji wrote....

अनिल कान्त said...

wow !

Dr Xitija Singh said...

shaandaar aur jaandaan.....

Majaal said...

हमे भी आपका लिखा पढ़ कर वादी-ए-गुलज़ार का अहसास होता है, इसी तरह अरमानों के खज़ाने से सोच चुराते रहिये ... वो गाना है न .. चोरी में भी है मज़ा ... !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आती नहीं क्यों तुमको
नीली नींद की फिर एक सुबकी
इस फिराक में कि तुम सोओं
और मैं तुम्हारी जिन्द सी कलम चुरा लूं

बहुत सुन्दर ...कोमल से एहसास

Anonymous said...

पारुल जी,

हमेशा की तरह एक बार फिर एक खुसुरत नज़्म.........आपने ये गुलज़ार साहब को समर्पित की ....बहुत अच्छा लगा .........गुलज़ार साहब इस दौर के एक बेहतरीन शायर हैं |

आपको पड़कर ऐसा लगता है जैसे आप लफ्जों की नाव में बिठाकर कही दूर ख्वाबो में ले जाती हैं|

ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं-
"कब तक रहूँगा ऐसे
और तुमसे कहूँगा कैसे
क्यों न बिन कहे ही
तुम्हारे उतारे हुए
वो तन्हा से मौसम चुरा लूं ।
मैं पूछता फिरता हूँ
जहाँ भर में
तुम्हारे लफ़्ज़ों का ठिकाना
मौका मिले तो फिर
कोई तुम सी नज़्म चुरा लूं ।"

mukti said...

बहुत खूबसूरत नज़्म है. अपने बज़ पर इसे शेयर कर दूँ?

कुश said...

बहुत अच्छा लिखा.. बिलकुल गुलज़ार साहब के तेरे उतारे हुए दिन की तरह..

Unknown said...

bharat ke bahut bade fankar hai gulzar sahab....achha laga aapka unke liye samman!!! kosshish rahegi m bhi kuch achha likh saku.. !!



जय हो मंगलमय हो

Parul kanani said...

jarur mukti... :)

Archana writes said...

bahut khoob likha hai aapne...parul ji...n thanks for ur comment also..

माधव( Madhav) said...

sundar

Anonymous said...

ultimate





vartika!

anusuya said...

main bhi kya na chura loon tumhara :)

राजकुमार सोनी said...

हां तो पारूल ने एक बार साबित कर दिया कि वह सबकी चहेती क्यों है.
पारूल को सब इसलिए भी पसन्द करते हैं क्योंकि पारूल सबसे जुदा लिखती है.
पारूल तुम्हारी पहली किताब जब भी आएं मुझे जरूर बताना.... लाइन लगाकर आटोग्राफ लेने वालों में सबसे पहली पंक्ति में मैं ही खड़ा रहूंगा.
वेलडन

अजय कुमार said...

बहुत खूबसूरत रचना ।

Manoj K said...

I DONT READ A LOT OF POETRY AND ASSOCIATED KIND OF THINGS, BUT THIS TIME ITS SO SIMPLE AND THE FLOW IS SO NATURAL, I COMPLETED IT.. A VERY DEEP & EMOTIONAL WRITING.

BEST
MANOJ KHATRI

Avinash Chandra said...

behad khubsurat, har pankti...

Apanatva said...

Gulzaar ji agar ye nazm padenge to naa jane kitnee nazme tumharee ise nazm par nyochawar ho saktee hai.......
Ye atishayokti nahee hai......

राजेश उत्‍साही said...

सच्‍ची अद्भुत ख्‍वाहिश और नज्‍म भी।

Anonymous said...

पारुल जी,

क्यों मजाक करती हैं......उर्दू के मामले में हम आपके सामने कहा ठहरते हैं .......काश मैं भी आपकी जैसी नज्मे लिख पाता|

SATYA said...

बहुत सुन्दर।

vandana gupta said...

वाह क्या ख्वाहिश है………………बहुत ही खूब्।

दिगम्बर नासवा said...

आती नहीं क्यों तुमको
नीली नींद की फिर एक सुबकी
इस फिराक में कि तुम सोओं
और मैं तुम्हारी जिन्द सी कलम चुरा लूं ...

कुछ अन्छुवे बिंब और अंजानी चाहत और नाज़ुक भावनाएँ सॅंजो कर लिखा है इस रचना को .... प्यार का एहसास होता ही ऐसा है ... कुछ भी करने को मन करता है ... बहुत खूबसूरत नज़्म ...

स्वप्निल तिवारी said...

bahut badhiya hai parul ji .... gulzar saab to bas ... aap ki khwahishen jaldi poori honi chahiye ...

Gaurav Singh said...

क्या कहूँ आपको और क्या कहूँ आपकी तारीफ में, शब्द हिचकिचा रहे हैं,
हर एक शब्द दिल तक उतार गया.

Gaurav Singh said...
This comment has been removed by the author.
Gaurav Singh said...
This comment has been removed by the author.
Coral said...

बहुत ही खूबसूरत ......

पूनम श्रीवास्तव said...

एक बेहतरीन रचना----हृदयस्पर्शी।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

बेहतरीन--।

crazy devil said...

bahut khoobsoorat..

सुधीर राघव said...

bahut sunder

वीरेंद्र सिंह said...

Well ..Parul ji....Great work again. Great NAZM....and it's really fantastic to go through your blog because every piece of writing is just too good to miss.

Congratulations...... Parul ji...

संजय कुमार चौरसिया said...

bahut sundar paarulji

Shabad shabad said...

दिल को छू गई....
वाह ! वाह!

Anonymous said...

bahut hi badiya....

VIJAY KUMAR VERMA said...

बहुत ही सुन्दर शब्द चयन ..अच्छी प्रस्तुति

जयकृष्ण राय तुषार said...

behtareen rachana aapko apni rachnayen print media me bhi dena chahiye

MangoMan said...

rad! what an expression! loved it!

neeli neend ki subki! I'm dumbfounded!

misir said...

कमाल का तसव्वुर ,अद्भुत प्रस्तुतीकरण ,
बहुत बहुत मुबारक !

पंकज मिश्रा said...

बहुत सुन्दर नज़्म लिखी है पारुल जी|

Rohit Singh said...

गजब पारुल जी गजब.....शब्दों का मेल। जल्दी ही गुलजार तक पहुंचने वाली है।

Khare A said...

very touchy, sundar

Dr.R.Ramkumar said...

अपनी ख़ामोशी में भर लूं
तुम्हारी हिचकी

तुम्हारे मन का
हर ज़ख्म चुरा लूं ।
वो जो चुभते हैं
होले-होले

तुम्हारे उतारे हुए
वो तन्हा से मौसम चुरा लूं ।

आती नहीं क्यों तुमको
नीली नींद की फिर एक सुबकी
इस फिराक में कि तुम सोओं
और मैं तुम्हारी जिन्द सी कलम चुरा लूं ।

behad asardar khwab bune hain aapne..har harf par bosa karne ka jee chata ha..

aapki teep par apna khyal apne blog mein diya hai..ek bar phir qadam rakhein--

हरकीरत ' हीर' said...

पारुल आज दिल खुश हो गया ...
बहुत ही खूबसूरत नज़्म उतरी है ......!!

Anonymous said...

is post par apna comment na dekhkar aashcharya hua.....
bahut hi behtareen rachna...
sabe aakhiri pankti sabse shaandaar..
================================
मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद..
इसकी छाँव में आप भी पधारें....

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुन्दर..............

Mumukshh Ki Rachanain said...

यहाँ तो कोई हेराफेरी नहीं, पूरी की पूरी सीनाजोरी है,,,,,,,,,,,,
चोरी की इससे बढ़िया इच्छा एवं स्वीकारोक्ति और क्या होगी........................
माननीय गुलज़ार जी को समर्पित यह रचना दिल को छू गयी..........

गर्दिक शुभकामनाएं..........

चन्द्र मोहन गुप्त

Mumukshh Ki Rachanain said...

यहाँ तो कोई हेराफेरी नहीं, पूरी की पूरी सीनाजोरी है,,,,,,,,,,,,
चोरी की इससे बढ़िया इच्छा एवं स्वीकारोक्ति और क्या होगी........................
माननीय गुलज़ार जी को समर्पित यह रचना दिल को छू गयी..........

गर्दिक शुभकामनाएं..........

चन्द्र मोहन गुप्त

अनामिका की सदायें ...... said...

हमेशा की तरह एक निर्मल और सुंदर अभिव्यक्ति.

kumar zahid said...

क्यों न बिन कहे ही
तुम्हारे उतारे हुए
वो तन्हा से मौसम चुरा लूं ।
मैं पूछता फिरता हूँ
जहाँ भर में
तुम्हारे लफ़्ज़ों का ठिकाना
मौका मिले तो फिर
कोई तुम सी नज़्म चुरा लूं ।

parul g!!
nowords to utter.
very nicely nitted dreams in poetry.
congra. billions..

pooja said...

very nice poem........keep it up

Pushpendra Singh "Pushp" said...

rachna khubsurat hai
badhai

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत सुन्दर रचना ... कहीं दिल में एक ठंडी आह सी भर जाति है ...

Priyanka Soni said...

बहुत सुन्दर !

योगेन्द्र मौदगिल said...

gulzar saab ka koi jawab nahi.....achhi prastuti....sadhuwad...

Prem said...

बहुत सुंदर रचना शुभकामनायें a

Prem said...

very nice expressions,thanks for coming to my blog.

Anupam Karn said...

बहुत बढ़िया !
इतना की आपके ब्लॉग को मैंने खुद के ब्लॉग से जोर दिया है .

पी.एस .भाकुनी said...

......aaj ek baar fir aapke blog pe aana huwa,achcha huwa vrna ek khubsurat najm se vanchit ho raha tha,
बहुत खूबसूरत रचना ।

अंजना said...

बहुत सुन्दर .........


नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

पी.एस .भाकुनी said...

आपको और आपके परिवार को नवरात्र की हार्दिक शुभ कामनाएं ,

Asha Joglekar said...

Bahut sunder . Guljar sahab ka touchhai isme.
अपनी ख़ामोशी में भर लूं
तुम्हारी हिचकी
या कि तुम्हारे मन का
हर ज़ख्म चुरा लूं ।
वो जो चुभते हैं
होले-होले
यूँ भी कई रंग घोले
उन आंसूओं को ही
हरदम चुरा लूं ।

Priyanka Soni said...

नि:शब्द !
अभिभूत हो उठी.

दिपाली "आब" said...

pyaari nazm kahi hai paarul..baar baar padhne ko jee karta hai, nice metaphors.. :)