Tuesday, August 10, 2010

दो पैसे की बातें!



याद आती होंगी न मेरी
वो दो पैसे की बातें
वो गुल्लक सी खनकती
अनगिनत सपनों की रातें #
वो फटे-पुराने पन्नो की
ऊँची सी उड़ाने
वो मिटटी में दबे हुए
मन के कई खजाने
जहाँ अनजाने ही
गुड्डे-गुडिया से थे अपने नाते #
याद आती...........दो पैसे की बातें#
वो मेरा कुछ भी कह देना
और वो बेवजह तुम्हारा हँसना
तब तक शायद नहीं आता था
यूँ भी ख़ामोशी में फंसना
कोई हिसाब न था उन लम्हों का
है अब भी जिंदगी के अधूरे खाते #
याद आती........दो पैसे की बातें#
वो तुम में मेरा उलझना
और फिर मन का खींच जाना
किसी बात पे एकदम रोना
और आंसूओं का पलकों में भींच जाना
फिर कई दिनों तक एक-दूजे को बिलकुल नहीं सुहाते #
याद आती..........दो पैसे की बातें#
वो मेरा कहते रह जाना
पर नहीं तुम्हारा थकना
जब जो मन में आ जाये
सीधा उसको ही बकना
उन ज़ज्बातों की बारिश में
न कभी खुले मन के छाते#
याद आती.......वो दो पैसे की बातें#
तोड़ गए तुम अनजाने ही
मन के कई खिलोने
छोड़ गए तुम खाली खाली
यादों के कुछ कोने
पहले कितना शोर थे करते
अब क्यूँ नहीं बुलाते#
याद आती......दो पैसे की बातें##

(दीपशिखा जी को धन्यवाद,जिनके ब्लॉग से दो पंक्तियाँ लेकर मैंने ये रचना लिखी!)

57 comments:

sonal said...

sach mein bahut yaad aati hai
sundar rachnaa

Anonymous said...

for me... its worthless



vartika!

wordy said...

sach...ek mausm si rachna..jahan shabd anmol hai..

Mansoor Naqvi said...

Bahut khoob...aapki rachna ne to hame purane khoobsurat din yaad dila diye..wo din jo dubara lout kar nahi aate...sunder rachna ke liye badhai..

Apanatva said...

ateet chaya kee tarah sath hee rahta hai............
beautiful....expressions............

Mansoor Naqvi said...

kai baar man me aisi hi kuchh sunder yaden aur kalpanayen aati hain, chahta hun ki unhe khubsurat shabdon me likhun... lekin aapke jaisi lekhan kala mere paas nahi .. shabdon ka chayan, aur unko saleeke se motiyon ki tarah pirone ka hunar ishwar sabko nahi deta.. yeh khazana to maalik ne aap jaise kuchh chuninda maharthiyon par lutaya hai....kabhi kabhi jalan bhi hoti hai, lekin sach to yeh hai ki aapki kala adbhut hai..aur me aapka fan ho gaya hun..

Coral said...

बहुत सुन्दर !

Mansoor Naqvi said...

RHYTHM OF WORDS.. is a good name, but don`t you think that it doesn`t match with your hindi poetry.. would it not be more impressive if you give it a beautiful HINDI name..? I dont know what you feel..but man me aaya to free ka idea de diya..isko impliment karen to aap mujhe royelty (bakhshish) de sakti hain..

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA said...

" उन ज़ज्बातों की बारिश में
न कभी खुले मन के छाते "

वाह पारुल जी! दो पैसे की बात का मोल बखूबी समझाया आपने :)

Gaurav Kant Goel said...

bohot yaad aati hain vo 2 paise ki per anmol baatein... :)

कुश said...

गुड्डे-गुडिया से थे अपने नाते
याद आती...........दो पैसे की बातें

ये सबसे मजबूत पंक्तिया है..

इन बातो का कोई मोल है नहीं वैसे..
ना दो करोड़.. दो लाख ना दो पैसे..

पवन धीमान said...

पूरी संवेदनशीलता के साथ अच्छा लिखा है आपने। आपको बधाई।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

i have no words to write comment. narayan narayan

Mithilesh dubey said...

behad khubsurat

kumar zahid said...

Touching.mooving and making wordless.what a passion indeed Parul!

Deepak Shukla said...

पारुल जी....
बहुत ही सुन्दर अहसासों से भरी कविता लिखी है....हालांकि पूरी कविता ही सुन्दर है पर मुझे व्यक्तिगत रूप से ये छंद बहुत अच्छा लगा...

तोड़ गए तुम अनजाने ही
मन के कई खिलोने
छोड़ गए तुम खाली खाली
यादों के कुछ कोने
पहले कितना शोर थे करते
अब क्यूँ नहीं बुलाते#
याद आती......दो पैसे की बातें##

इतनी अच्छी कविता पढ़ कर में चुप बैठ जाऊं ये संभव नहीं है...

याद तेरी भी करता होगा...
जो है छोड़ गया तुझको...
तेरी मीठी बातों से भी ...
मुहं को मोड़ गया है जो...

तेरी गुल्लक के वो पैसे...
मन की वो उड़ानें...
तेरी भोली हंसी म्रदुल सी...
और तेरी मुस्कानें ..

कठिन बड़ा होगा वो जीवन...
तेरे बिना भी उसका...
वो भी तेरे संग ही ऐसे...
होगा मन में तडपा...

आज बुलाये न वो चाहे...
तुझको पुनः वो अपने पास...
तुझसे दूर गया है चाहे...
रहता अब भी तेरे साथ....

दीपक....

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत संवेदन शील रचना.

रामराम.

RAJWANT RAJ said...

phle kitne shor the krte
ab qu nhi bulate
behd marmik pnktiyan . bhut umda post pdne ko mili . thanks

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत कोज़ी फीलिंग देती... एक बहुत ही नायाब क्रियेशन... दो पैसों की बातें... तो लाख की हैं .... और जिन शब्दों में कविता को ढाला है.... वो तो प्राइज़लेस हैं.... आई.... मीन ......... अनमोल हैं... मुझे दीपशिखा जी के ब्लॉग का लिंक ज़रूर देना....

थैंक्स फोर शेयरिंग...

रिगार्ड्स.......

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

उन ज़ज्बातों की बारिश में
न कभी खुले मन के छाते#

पूरी कविता भाव पूर्ण ...और प्रवाहमयी ....बहुत अच्छी लगी ...

प्रवीण पाण्डेय said...

कोमल मनभावों की सुन्दर सी रचना।

Anonymous said...

पारुल जी, मेरे ब्लॉग पर आने और कमेंट्स के लिए मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ | गुस्ताखी माफ़ मेरे ब्लॉग की पोस्ट नज़्म नहीं हैं, ग़ज़ल है |

आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा | अभी ज़रा वक़्त कम है इसलिए मैंने आपकी शुरू की सिर्फ दो ही पोस्ट पड़ी हैं, आप बहुत अच्छा लिखती है, आपकी पहली पोस्ट से ये चंद पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी |

"वो मेरा कुछ भी कह देना
और वो बेवजह तुम्हारा हँसना
तब तक शायद नहीं आता था
यूँ भी ख़ामोशी में फंसना"

इस उम्मीद में आपको फोल्लो कर रहा हूँ की आगे भी कुछ बेहतरीन रचनाएँ पड़ने को मिलेंगी |

कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आईएगा -


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अगर आपको ब्लॉग पसंद आये, तो कृपया उसे फॉलो करें ताकि हर नयी पोस्ट की जानकारी आपको मिल सके |

अजय कुमार झा said...

सुंदर भावाभिव्यक्ति ...........बहुत सुंदर कविता ...

VOICE OF MAINPURI said...

मैं आप के ब्लॉग पर पहली मर्तबा आया....और आप के ब्लॉग का आदि हो गया.
याद आती होंगी न मेरी
वो दो पैसे की बातें
वो गुल्लक सी खनकती
अनगिनत सपनों की रातें.
बेहद खुबसूरत पंक्तियाँ है.

anusuya said...

parul ji..book kab publish ho rahi hai :)

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने ! आपकी लेख्ननी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! बधाई!

Anonymous said...

वाह वाह के अलावा अभी कुछ और नहीं सूझ रहा - प्रेरक और आप दोनों को बधाई

anoop joshi said...

bahut khoob........

वीरेंद्र सिंह said...

तोड़ गए तुम अनजाने ही
मन के कई खिलोने
छोड़ गए तुम खाली खाली
यादों के कुछ कोने

Kya kahun in lines ke baare men.....Bahut hi behtreen aur umdaa.

Parul ji....bahut hi achhi rachna hai.

Aapko many many times
congratulations.

अरुणेश मिश्र said...

अत्यन्त भावनात्मक ।
प्रशंसनीय ।

हर्षिता said...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति है।

अमिताभ श्रीवास्तव said...

यह प्रेम और बिछोह के मध्य का सुहाना किंतु विरह अग्नि में झुलसती स्मृतियों से भरीपूरी रचना है। पारुलजी इस भाव में लिखी गई आपकी रचनायें मर्मस्पर्शी होती हैं। जब कोई रचना किसी अन्य के लिये अपनी सी लगती जान पडती हो तब रचना की सार्थकता सिद्ध हो जाती है। जी, सार्थक है।

ब्रह्माण्ड said...

कविता रवानी से भरपूर और बहुत सुन्दर लगी

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत ही प्यारी रचना....... हमारे साथ साझा करने के लिए
शुक्रिया।

हर्ष वर्द्धन हर्ष said...

वाह! बेहतरीन रचना, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

योगेन्द्र मौदगिल said...

wahwa......

Sumit Pratap Singh said...

apnee yaade sadaiv taaza rakhe...

कडुवासच said...

... sundar va bhaavpoorn rachanaa !!!

SATYA said...

अच्छा लिखा है आपने।

प्रिया said...

Socha padh kar chup se nikal jaaon par...Likha wakai achcha hai aapne :-)

M VERMA said...

यादों का यह पिटारा
बहुत सुन्दर

ABHIVYAKTI said...

Kuch bhooli bisri baat yaad aa gayi... ....
woh barish ki raat yaad aa gayi...
aab bhi baraste hain badal ...
magar aaj woh tumse pehli mulakat yaad aa gayi

अनामिका की सदायें ...... said...

कितना अच्छा लिखा आपने. वाह बहुत सुंदर तुम्हारी दो पैसो की यादे हमारी भी यादे ताज़ा कर गयी.
बहुत सुंदर भावो से सजाया हें हर एहसास तो भर दिया.

sanu shukla said...

उम्दा रचना

दिगम्बर नासवा said...

बहुत संवेदनशेल रचना .. गहरे एहसास लिए ... मन को छू गयी आपकी रचना ...

Urmi said...

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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

Unknown said...

पारुल जी,
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ....
मेरे ब्लॉग पर आने और कमेंट्स के लिए मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ
अभी कुछ ही वक़्त हुआ है हमें यहाँ पर और बहुत ही अच्छा अनुभव रहा है बहुत अच्छे -२ लोगों को जानने का मोका मिला |
आपका ब्लॉग भी पढ़ा पर समय अभाऊ के कारन पूरा नहीं पढ़ पाया ....
आप के लेखन से बहुत प्रभावित हुआ हूँ
बहुत ही अच्छा लिखती है आप ..

Unknown said...

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ

Ashish said...

hmm ...main gadgad hua....:)
g8 job

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

khushi said...

दो पैसे की बातें
सो पैसे का वक्त कैसे छीन ले जाता है....
सचमुच हर मन की व्यथा उड़ेल दी अपनी.....बहुत खूब

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahut sundar rachna.............