Monday, July 26, 2010

एक कलम..!



मैं भटकी हूँ दर दर
जिंदगी के लिये फकीर सी !!
बह गयी आँसूं बन
हर आरज़ू नीर सी !!
हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!
मैं न रीझी कभी
हीर-रांझे सी प्रीत पर
मैं न झूमी कभी
किसी प्रेम गीत पर
मैंने हर व्यथा बुनी
बस जिंदगी की रीत पर
और बन गयी वो व्यथा
मेरी ही तस्वीर सी !!
मैं सोच में न थी
अपनी किसी भी हार पर
मैं न रुकी कभी
किसी अधूरे प्यार पर
जो भी कहा था बस
सच की धार पर
मेरी सच्चाई बन गयी
मेरे लिये जंजीर सी !!
ऐ! रब भरके भेजे
जब भाव तूने रग में
मैंने वाही बांटा सबसे
तेरे बेदर्द जग में
मैंने बस वही लिखा
जो ख़ामोशी कहती गयी
मैंने बस मिटानी चाही
दिलों में खिंची लकीर सी !!

#कुछ अल्फाज़ ...अमृता प्रीतम जी के नाम#

54 comments:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बेहतरीन ! अलफ़ाज़ नहीं है तारीफ़ के लिए ...

शिवम् मिश्रा said...

"अफरीन" ...........इस से बड़ा कोई शब्द नहीं है मेरे शब्दकोष में !

अमृता प्रीतम जी को हमारा भी नमन !

सुनील गज्जाणी said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!
parul jee , namaskar ! puri ki puri dil ko choone wali hai magar meri pasand ki panktiya aap ko nazar hai ,

aap ke madhyam se shredhaya amrita jee ka smaraam phir hua ,
sadhuwad .
aaabhar

vandana gupta said...

बेहद सुन्दर प्रस्तुति………………ये भाव तभी उभर कर आते हैं जब मह्सूस किये जाते हैं।

Avinash Chandra said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम

ye to khud me ek nazm hui..

Aruna Kapoor said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!


अमृता प्रीतम जैसी महान हस्ती के लिए उपयुक्त अल्फाज!...अति सुंदर!

Aruna Kapoor said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!
अमृता प्रीतम जैसी महान हस्ती के लिए उपयुक्त अल्फाज!...अति सुंदर!

The Straight path said...

सुन्दर प्रस्तुति

arvind said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!....बेहतरीन !

M VERMA said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!
लाजवाब के सिवा कुछ नहीं

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर....एक एक शब्द मन में उतरता हुआ..

प्रवीण पाण्डेय said...

तरल वेदना।

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सुन्दर रचना!आपका आभार "सच में" पर आने और हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये!

अरुणेश मिश्र said...

गहराई की आवाज ।

अरुणेश मिश्र said...

गहराई की आवाज ।

अरुणेश मिश्र said...

गहराई की आवाज ।

Ashish said...

bahut badhiya... bahut achha... kya baat hai...

36solutions said...

गहरी अभिव्‍यक्ति. आभार.

mai... ratnakar said...

मैं न रीझी कभी
हीर-रांझे सी प्रीत पर
मैं न झूमी कभी
किसी प्रेम गीत पर
मैंने हर व्यथा बुनी
बस जिंदगी की रीत पर
और बन गयी वो व्यथा
मेरी ही तस्वीर सी !


touching! touching!! touching!!! ultimate

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर अल्फाज़ों के साथ.... बेहतरीन प्रेजेनटेशन ........


रिगार्ड्स....

sonal said...

kamaal kar diyaa hai parul..man par asar karti rachna

Meghana said...

मैंने बस वही लिखा
जो ख़ामोशी कहती गयी
मैंने बस मिटानी चाही
दिलों में खिंची लकीर सी !!

very nice...
Parul ji, hats off to you..

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

charcha manch ke maadhyam se aapke yahaan aana hua....

behatareen rachna prakaashit ki hai aapne...

aabhar!

Avinash Chandra said...

ris gaye shabd...ghul gaye, talhati me chun raha hun

सदा said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी

यूं तो पूरी रचना ही बेहतरीन है, पर यह पंक्तियां बहुत ही सुन्‍दर बन पड़ी हैं, बधाई ।

Urmi said...

वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!

wordy said...

ek bahut hi nayab kalam..hats off to yu!

wordy said...

i have always enjoyed yr creativity...its such a amazing experience..god bless yu..keep going :)
:)

स्वप्न मञ्जूषा said...

सुन्दर प्रस्तुति..!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

मैं जब भी आपके ब्लॉग पर आया तो यह सोच कर कि जो पढना चाहता हूं वो मिलेगा। यकीन कीजिये वही मिला भी। जितना मैने अमृता प्रीतम को पढा है, लगता है यह रचना उसका निचोड है। कुछ अल्फाज़ नहीं, पूरी रचना उनके नाम समर्पित कर दीजिये।
अब रही आपकी बात, विचार, सोच, जीवन को देखने उसे समझने का ढंग..कमाल है। गम्भीर हैं आप। कलम जब चलती है तो अपना व्यक्तित्व अंकित करती जाती है। मैं रचना पढता तो हूं, किंतु रचीयता कलम की स्याही का बहना देखता हूं जिसमे हृदय अपना स्पन्दन छोड देता है। हां, इसकी धडकन की अनुगूंज रहेगी मानस पर।

शिवम् मिश्रा said...

एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं!

Akanksha Yadav said...

लाजवाब कर दिया आपने..बधाई.

VIVEK VK JAIN said...

kya kahu....hamesha ki tarah ek aur bahut sundar rachna.

anusuya said...

har pankti ek kehani si bayaan karti hai...fantastic ...keep it up!

Udan Tashtari said...

शानदार....सुपर्ब...

Anonymous said...

hi dear, u have a nice blog..
pls check mine too n share ur thoughts with me.......
thanx

keep bloging..

रचना दीक्षित said...

गहरी अभिव्‍यक्ति.बेहद सुन्दर प्रस्तुति

विनोद कुमार पांडेय said...

लाज़वाब रचना....सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई

Unknown said...

hamesha ki tarah kuch alag ...kuch airth kuch bhawnay liye.....!! bahut khooob !! waise preetam ji main bhi fan hun....!! likhte rahen shubhkamnayen .....

Jai Hindi ....Jai Ho Mangalmay HO

पंकज मिश्रा said...

शानदार, शानदार और शानदार। इसके आगे क्या कहूं समझ नहीं पा रहा हूं। बहुत अच्छा है। अमृता जी को मेरा भी सलाम।

ajay saxena said...

हर आरज़ू नीर सी !!
हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!

अमृता प्रीतम जी को सादर नमन ! और आपका आभार...

स्वाति said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
लिख गयी दर्द को
अपनी तक़दीर सी !!

TAREEF KE LIYE KOI SHABD SAMARTH NAHI HAI .. AMRATA JI KO SACHHI SHRADHANJALI HAI YAH KAVITA..

Apanatva said...

mai to shuru se hee kayal hoo aapkee lekhan shailee kee par ye rachana to kamal kee hai.......
ati sunder .

वीरेंद्र सिंह said...

मैंने बस वही लिखा
जो ख़ामोशी कहती गयी
मैंने बस मिटानी चाही
दिलों में खिंची लकीर सी !!

These lines are really mind blowing.

Dr. Tripat Mehta said...

isse behtar kuch nahi ho sakta :)

http://liberalflorence.blogspot.com/

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hi koobsurat itana ki use dobara padhne ko majboor hogai.
kya likhu is kavita ke baare me shabd nahi mil pa rahe hain.
poonam

kumar zahid said...

हाथ में थी बस कलम
"आह" ज्यादा,लफ्ज़ कम
मैं न झूमी कभी
किसी प्रेम गीत पर
मैंने हर व्यथा बुनी
बस जिंदगी की रीत पर
और बन गयी वो व्यथा
मेरी ही तस्वीर सी !!

वाह !! अच्छा लिख रही हैं आप...बिल्कुल बेबाक ,साफ ओर जिन्दा..
शब्दचयन जानदार ..

पूनम श्रीवास्तव said...

parul ji, beintaha ,lazwaab rachna.dil se nikle ye jajbaatdil ko ki gahraai tak sama gai.
poonam

Anonymous said...

bahut hi umdaah rachna.......

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

बहुत खूब ,
लाजवाब प्रस्तुति ||

Gaurav Kant Goel said...

Kahan se tumhare paas itne sunder thoughts aate hain aur kaise tum itne acche shabd laati ho. :) You are amazing...

Rajeev Bharol said...

वाह. बहुत ही अच्छी रचना.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

बहुत ही ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति।बधाई।