Friday, February 27, 2009

एक कहानी..


मैंने दर्द की एक कहानी लिखी है
जहाँ जिंदगी पानी पानी लिखी है ॥
आँसुओं से तरी
समन्दर से खरी
लफ्ज़ गमगीन है
पर नमकीन है
वहां सपनो की मिठास फीकी सी दिखी है
हाँ मैंने वहीं ये कहानी लिखी है ॥
न है कोई परी
न है जादूगरी
सिसकती है उम्मीद
जहाँ डरी डरी
वहां खामोशी भी आह में भीगी है
हाँ मैंने वहीं ये कहानी लिखी है ॥
गीली गीली सी है रुत
है जहाँ दिल एक बुत
हर लम्हा तडपता सा
ख़ुद में है धुत
जहाँ तन्हाई ख़ुद को देख चीखी है
हाँ मैंने वहीं ये कहानी लिखी है॥
पिघले एहसास है
बुझती सी आस है
कतरे कतरे से
सुलग रही प्यास है
रंग मिटटी के है,न आसमानी सरीखी है
हाँ मैंने ऐसी ही कहानी लिखी है

20 comments:

शोभा said...

वहां खामोशी भी आह में भीगी है
हाँ मैंने वहीं ये कहानी लिखी है ॥
गीली गीली सी है रुत
है जहाँ दिल एक बुत
हर लम्हा तडपता सा
ख़ुद में है धुत
वाह !वाह! बहुत सुन्दर लिखा है।

latikesh said...

आप की कहानी अच्छी लगी
लिखते रहिये और किसी की कहानी में रंग भी भरिये
लतिकेश
मुंबई

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

गीली मिट्टी पर लिखी गयी आपकी कहानी में नमी बहुत है जो बहुत ही तीब्रता से संप्रेषित होती है . सुन्दर कविता !!

Anonymous said...

बहुत खूब लिखा है आपने-
न है कोई परी
न है जादूगरी
सिसकती है उम्मीद
जहाँ डरी डरी

रंजू भाटिया said...

सुन्दर भाव लगे इस कविता के बढ़िया लिखा है आपने

222222222222 said...

शांत कविता के लिए बधाई।

Rahul kundra said...

बहुत खूब लिखा है, काश में भी आपकी तरह इतना सुंदर लिख पाता।

Vinay said...

बहुत सुन्दर नज़्म है!

---
गुलाबी कोंपलें

Anonymous said...

nice words

दिनेशराय द्विवेदी said...

भावनाओं को इतने खूबसूरत तरीके से काव्य में अभिव्यक्त होते कम ही देखा है।

रंजना said...

Waah ! waah ! Waah !

Shabd bhaav shilp pravaah..sab adwiteey...

Aanand aa gaya padhkar..Aabhaar is sundar kavita ko padhane ke liye.

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लिखती हैं आप ... हमेशा की तरह यह भी अच्‍छा लगा।

Gaurav Kant Goel said...

Bohot accha likha hai ......

Keep up the good work!!!

Shikha Deepak said...

बहुत सुंदर, हम तो डूब गए आपकी कविता में।

नीरज मुसाफ़िर said...

बढ़िया कहानी (कविता) लिखी है आपने

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पीड़ा की ललकार, कहानी कह जाती है,

टूटी सी पतवार, निशानी रह जाती है।

आँखों में सागर है, ठहरा खारा जल है,

दरिया की मानिन्द, जवानी बह जाती है।।

अनिल कान्त said...

बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने

Anonymous said...

This is so touching. Fabulous writing!

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

न है कोई परी
न है जादूगरी
सिसकती है उम्मीद
जहाँ डरी डरी
वहां खामोशी भी आह में भीगी है
हाँ मैंने वहीं ये कहानी लिखी है.

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.

सारी कविता बहुत पसन्द आई.



गेयता की दृष्टि से भी रचना उत्तम बन पड़ी है


बधाई


dwijendradwij.blogspot.com

पूनम श्रीवास्तव said...

अच्छी कविता ...सुन्दर अभिव्यक्ति .
पूनम