When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, November 27, 2008
फिर और फिर !!!
तेरी उन्ही बातों का सिलसिला
अब फिर से शुरू तो नही
बीती मुलाकातों का अधूरापन
कहीं जुनू तो नही !!
मैं मांगता हू लम्हों से
होंसला सदियों का
कहीं तुझको भी
जिंदगी जीने की फिर जुस्तजू तो नही !!
मैं फिर रहा हू फिर
अपनी तलाश में
मुझे ये डर है कहीं
मैं फिर तेरे रु-ब-रु तो नही !!
मेरा एहसास रोज
जीकर मरता है
कहीं इसमे तेरे होने की
खुशबू तो नही !!
मुझे रिहाई दे दे
अपनी जिंदगी से
कि जिसको जी रहा हू मैं
वो कहीं तू तो नही !!
उलझ रहा है क्यों
तुझ में फिर से मेरा मन
कि फिर एक बार
उसी खता की आरजू तो नही !!
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2 comments:
good..
its the revealing truth of mixed soul, thanks for bringing it up :)
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