मैं कब तलक दू बता
तेरी खामोशी का साथ
वो अधूरे से लफ्ज़ तेरे
अक्सर करते है मुझसे बात !!
मैं बेचैन होता हू
तेरी यादों में खोता हू
देखता रह जाता हू
बस अपना खाली सा हाथ !!
जिंदगी था तेरा होना
अब खाली है कोना
वहां बैठकर गिन रहा हू
तेरे कहे आखिरी अल्फाज़ !!
तुझसे बिछड के
ख़ुद से भी जुदा हो गया
बुला ले मेरी रूह को भी
देकर अपनी रूहानी आवाज !!
1 comment:
अब खाली है कोना
वहां बैठकर गिन रहा हू
तेरे कहे आखिरी अल्फाज़ !!'
kya baat hai meri kahani likh di aapne...
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