Thursday, November 6, 2008

गुलाल...!


तुम आए जब दिल में
किसी ख़याल की तरह!!
बेचैन हो उठी
जैसे एक सवाल की तरह!!
खो गई अनजाने में
फिर से तुमको पाने में
मिले भी क्या बस बिछडे
हर साल की तरह!!
निशब्द सी होकर
खामोशी में खोकर
जो बात तुमसे की
बेहाल की तरह!!
तुम हंस के चल दिए
जैसे मायने बदल दिए
गम घुलने लगे आंसुओं में
गुलाल की तरह!!