Friday, July 5, 2013

*कनानी* (हैप्पी बर्थडे)




ओ रूई सी
छुईमुई सी
जब भी तू हँसती है!
एक नदी सी
बनती-बिगड़ी सी
मुझ में आ बसती है !!
उल्टी-सीधी सी
एक परिधि सी
जब भी मुड़ती है !
इधर से उधर से
जाने किधर से
मुझ में आ जुड़ती है!
एक परी सी
मुझसे भरी सी
प्यारी सी कश्ती है!!
बातों के कटोरे में
मन यूँ खनकता है
नींद के धागों में
चाँद भी उलझता है
मेरी रूह भी कहीं
तुझमें ही फँसती है!!
बारिशों का एक
छोटा सा दरिया है
यूँ भीग जाने का
मासूम ज़रिया है
कोई हँसी तेरी
जब यूँ ही बरसती है!!
हूक से भरे
शब्दों के दोने है
आढे -तिरछे से
मन के खिलोने है
यूँ ही नही तुझको
मेरी जिंदगी तरसती है!!
मेरे मौसम की
तू कच्ची सी कैरी है
जो आज मैने
तेरी हर ज़िद पहरी है
तेरा बचपन महँगा है
मेरी उम्र सस्ती है!!