Friday, November 7, 2008

रंग..!!



तेरी आंखों के, चाहकर भी मैं तो रंग बदल न पाया


सोचा था सफर साथ कटेगा,पर दो कदम भी चल न पाया!!!


सपनों के थे रंग सजीले


हल्के गहरे नीले नीले


मैंने भी रंग घोले चाहत के,पर तुझ में भर न पाया!!!


तेरी हँसी थी बहुत गुलाबी


और सुनहरी सी थी बेताबी


थामकर अपनी जिंदगी का हाथ,यादों से तेरी निकल न पाया!!!


काली काली सी तेरी आँखें


आकर मेरे सपनों में झांके


तेरे होने का एहसास बिखरा तो मैं फिर तन्हाई में ढल न पाया!!!


आ संग संग जिंदगी को रंगें


छोड़ दे इस जहाँ में चाहत की पतंगे


तेरे प्यार का जब रंग चढा तो मैं किसी और रंग में घुल न पाया!!!



1 comment:

amar said...

good ...
achanak se last stanza etna optimistic kaise ho gaya :)