तेरी आंखों के, चाहकर भी मैं तो रंग बदल न पाया
सोचा था सफर साथ कटेगा,पर दो कदम भी चल न पाया!!!
सपनों के थे रंग सजीले
हल्के गहरे नीले नीले
मैंने भी रंग घोले चाहत के,पर तुझ में भर न पाया!!!
तेरी हँसी थी बहुत गुलाबी
और सुनहरी सी थी बेताबी
थामकर अपनी जिंदगी का हाथ,यादों से तेरी निकल न पाया!!!
काली काली सी तेरी आँखें
आकर मेरे सपनों में झांके
तेरे होने का एहसास बिखरा तो मैं फिर तन्हाई में ढल न पाया!!!
आ संग संग जिंदगी को रंगें
छोड़ दे इस जहाँ में चाहत की पतंगे
तेरे प्यार का जब रंग चढा तो मैं किसी और रंग में घुल न पाया!!!
1 comment:
good ...
achanak se last stanza etna optimistic kaise ho gaya :)
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