When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Wednesday, July 15, 2009
और..
मुझको मालूम होता अगर,अपना ठिकाना
तो मैं ढूंढता फिरता न यूं ही सारा ज़माना
मेरी मुश्किल है यही कि मैं अब तलक ख़ुद तक भी नही
तुमसे मिलकर अब हो गया और नामुकिन ख़ुद तक पहुँच पाना !!
मैं आज लिखने बैठा था जिंदगी को ख़त
कि बनती जा रही हो आख़िर क्यों तुम मेरी उल्फत
ऐ जिंदगी!ख़बर नही,तुझसे मेरा वास्ता है क्या?
फिर भी आज मैं चला निभाने क्यों एक रिश्ता अनजाना !!
खफा खफा सा हूँ तुझसे न जाने किस बात पर
दिन की उजली सी धूप पर या कि चांदनी में धुली रात पर
जिनके होने न होने का मुझ पर फर्क नही
क्यों चाहता हूँ उन्ही ख्वाबों में लौट जाना!!
मैं समझता हूँ तुझ से मुझ तक है बस ये कहानी
हाँ,कभी कभी आ जाता है इसमें पानी
तब और महसूस करता हूँ प्यासी सी जिंदगानी
और अच्छा लगता है इसमें बह जाना!!
जब कभी मैं इस समन्दर से निकलता हूँ
और फिर दो कदम यूं ही तेरे साथ चलता हूँ
कहना चाहता हूँ कुछ,तेरी खामोशी में डूबकर
और होता है बस यूं ही चुप रह जाना!!
मैं खोजने तो निकला था अपना ही सबब
पर समझ न चाहता हूँ अब पहले तेरा ही मतलब
आख़िर समझें एक दूसरे को हम न जाने कब?
जब कि तुझको पाना ही हो शायद ख़ुद को पाना!!
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10 comments:
ओ !
अच्छा लिखा है
बढ़िया पोस्ट है,
बधाई!
सुन्दर अभिव्यक्ति
खफा खफा सा हूँ तुझसे न जाने किस बात पर
दिन की उजली सी धूप पर या कि चांदनी में धुली रात पर
जिनके होने न होने का मुझ पर फर्क नही
क्यों चाहता हूँ उन्ही ख्वाबों में लौट जाना!!
wahh jabardast,zindagi ko samjhne ki koshish lajawab.
बेहतरीन् रचना
पारूल जी बहुत सुन्दर रचना लिखी है
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
badhiya rachanaa ke liye dhero badhaayee swikaren...
arsh
कहना चाहता हूँ कुछ,तेरी खामोशी में डूबकर
और होता है बस यूं ही चुप रह जाना!!
कहने का यह अन्दाज़ खूबसूरत लगा
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी! मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
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