Thursday, July 9, 2009

दर्द!


है दर्द दोनों का एक जैसा
आ मिलकर इसे बाँट ले
जिसको तू चाहे,उसको तू ले ले
आ अपना अपना छांट ले॥
नैनो की बस एक कहानी है
नीला नीला सा पानी है
डूबे है जिसमें हम जैसे
क्या बस यही जिंदगानी है?
कोई रात तो हो ऐसी
जिसको हम जागकर काट ले॥
जीवन का ये कैसा चेहरा है ?
जिसे देख दर्पण भी हैरां है
साया भी धूप में जलता है
कौन कहाँ संग चलता है ?
चल!दो कदम चल के देख लें
एक दूजे का हाथ ले!
ज़ख्म कोई जब सहलाता है
छूते ही हरा हो जाता है
दिखता है जब कोई आँसू
मन कतरा कतरा बह जाता है
ले आ कहीं से नई मिटटी
और मन की बात ले!

10 comments:

ओम आर्य said...

बहुत ही करीब है जिन्दगी के आप्के यह एहसास ........दर्द शायद एक ही भाव पैदा करता है तभी तो कही भी किसी से जुडा जा सकता है .............अतिसुन्दर

M VERMA said...

कोई रात तो हो ऐसी
जिसको हम जागकर काट ले॥
भावो को इतनी खूबसूरती से उकेरा है.
बहुत सुन्दर्

अर्कजेश said...

इतना ही कहना चाहता हूं कि बहुत ही खूबसूरती से लिखा है - मीठे-मीठे दर्द जैसा । दर्द जोडता भी है और तोडता भी, दर्द बहुत गहरा है |

Udan Tashtari said...

भावपूर्ण.

अनिल कान्त said...

मन के भावों को अच्छी तरह बयाँ किया है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ज़ख्म कोई जब सहलाता है
छूते ही हरा हो जाता है
दिखता है जब कोई आँसू
मन कतरा कतरा बह जाता है

सुन्दर मनोभाव।
बधाई।

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

पहली बार आपके ब्लॉग पर दस्तक दी है, आपने जो लिखा है उसकी प्रशंसा के शब्द कहाँ से लूं..मेरी कलम में तो इतनी ताकत है ही नहीं..बधाई.

विजय पाटनी said...

है दर्द दोनों का एक जैसा
आ मिलकर इसे बाँट ले
जिसको तू चाहे,उसको तू ले ले
आ अपना अपना छांट ले॥


mera gam kam ho jaata hai jab tusse aa ke milta hu mai
man halka ho jaata hai aankhe nam ho jaati hai jab tuj se aake milta hu mai ..

bahut hi sundar rachna as usual :)

Vinay said...

अत्यन्त सुन्दर रचना है
---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE

amar said...

है दर्द दोनों का एक जैसा
आ मिलकर इसे बाँट ले
जिसको तू चाहे,उसको तू ले ले
आ अपना अपना छांट ले॥
... haha .. very cute :)