Monday, February 19, 2018

रूबाई.....


                 


इश्क के सूफियाने में
दिल की रूबाई लिख दे।
बहुत खामोशी है
कोई शहनाई लिख दे।।
शोर होगा तो लगेगा
अकेले नहीं हैं हम
और कुछ ना सही
तकदीर में अपनी तन्हाई लिख दे।।
इस बहाने तुम्हें
थोड़ा सा जी जायेगे
टूटे अश्कों से
कोई बहर सी जायेगें
और भेज देगे
एक चांद हिज्र की रातों में
इश्क में मेरे तू बस अपनी
खुदाई लिख दे।।
अगर हो इश्क
तो सिर्फ दीवाना सा हो
कोई कलमा भी हो तो
मयखाना सा हो
मुद्दतों से अपनी ही कैद में हूं
मेरे मौला अब तो
मेरी रिहाई लिख दे।।





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