यही है चाह
ख़ामोशी टेढ़ा मुंह कर ले
और बातें बिगड़ जाएँ !!
ख्वाब इतने हो बेशक्ल
कि रातें बिगड़ जाएँ !!
दिल पत्थर हो जाएँ
और आईने टूटे
हो अपने ही गुनहगार
खुद को इतना लूटे
चोट ऐसी हो इश्क़ की
कि बरसातें बिगड़ जाएँ !!
चाँद सिले कतरों से
और यूँ ही फट जाये
और एक तू भी
इधर-उधर कहीं से कट जाये
तन्हाई के कुछ पैबंद
टांक दूं लम्हों पर इस तरह
हिसाब में इश्क़ के
ज़िन्दगी के खाते बिगड़ जाएँ !!
20 comments:
Beahad Khubsurat abhivyakri....Parul ji....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
और एक तू भी
इधर-उधर कहीं से कट जाये
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ह्रदय कि व्यथा कथा कुछ ऐसी कि … कोई वेदना , तड़प जिंदगी से जुदा हो नहीं पाती। …
अनोखे और नए बिम्ब जोड़ कर अपना आक्रोश रचा है इस रचना में ... बहुत खूब ...
गहरे भाव, सुन्दर रचना।
Nice Post.......Thanks
Shukriya
बहुत महीन सी भावों को समेटा ह आपने इस रचना में , पढ कर अच्छा लगा..
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
Beautiful!
बेहद उम्दा...अजीब-सी अकुलाहट, विषाद और आक्रोश है.. शब्दों का प्रयोग बखूबी किया गया है...
bahut khubsurti se buna hai aapne bhavon ko;))
shubhkamnayen:))
सुन्दर प्रस्तुति
आपको पढना हमेशा बहुत अच्छा लगता है | लफ्ज़ तो जैसे खेलते हैं आपकी कलम के साथ |
बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति
very nice....keep writing...
एक गीत के बोल खोजते हुए नेट पर घूम रही थी ,तभी आपकी एक पोस्ट आपकी बिटिया के जन्म की मिली :) .... बस वहीं सी आपकी रचनाएं पढ़ते - पढ़ते यहाँ तक आ गयी ... बहुत अच्छा लगा आपके विचार पढ़ना ......
एक गीत के बोल खोजते हुए नेट पर घूम रही थी ,तभी आपकी एक पोस्ट आपकी बिटिया के जन्म की मिली :) .... बस वहीं सी आपकी रचनाएं पढ़ते - पढ़ते यहाँ तक आ गयी ... बहुत अच्छा लगा आपके विचार पढ़ना ......
very nice...
some time love does that..
visit me to read :गुज़ारिश ...on
http://rahulpoems.blogspot.in/2014/06/blog-post.html
baat kya hai bhai.man me itni saari bhavnaayen jo chhupa kar kahaan rakhi thi. kitne gubaar bharen hain dil men.bhavnaao ki abhivyakti bahut shadaar dhang se ki hai.bahut bahut badhai---poonam
शब्द संयोजन बहुत सुन्दर लेकिन कुछ ऐसी व्यथा जिसने आक्रोश का रूप धर लिया ।
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