Monday, July 19, 2010

नज़्म!


वो एक लिबास ख्वाब का
जिसे पहनकर तू फबता था
कि तेरी उस चाशनी में वो फीका सा चाँद
किस तरह से दबता था
रोज करता था शिकायत
रोज एक नयी रवायत
रात के इश्क में किसी
दीवाने सा जलता था ॥
एक अम्बर का चुलबुला
दूजा मेरे मन का बुलबुला
मुझे दोनों की फिक्र थी
तो सारी रात जगता था ॥
बड़े कच्चे से थे धागे
कहीं उलझे,कहीं टूटे
लफ़्ज़ों की गिरफ्त में
मैं दोनों को ही रखता था ॥
एक ऐसी नींद बुनता था
जहाँ दोनों ही सो जाये
और फिर सारा जहाँ
ख्वाब की चाशनी में
गोल सी वो नज़्म चखता था॥

48 comments:

राजकुमार सोनी said...

पारूल जी,
क्या बात है..
आज तो आपने बड़े-बड़े शायरों की छुट्टी कर दी है
बहुत ही शानदार.

sanu shukla said...

और फिर सारा जहाँ
ख्वाब की चाशनी में
गोल सी वो नज़्म चखता था॥

सुंदर रचना...!!!

Parul kanani said...

sir ye aapka baddapan hai!thanks a lot :)

arvind said...

वो एक लिबास ख्वाब का
जिसे पहनकर तू फबता था
कि तेरी उस चाशनी में वो फीका सा चाँद
किस तरह से दबता था
.....बहुत ही शानदार

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर प्रवाहमान भाव।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

लाजवाब ! शानदार रचना !

वो एक लिबास ख्वाब का
जिसे पहनकर तू फबता था
कि तेरी उस चाशनी में वो फीका सा चाँद
किस तरह से दबता था

गजब कि पंक्तियाँ हैं ...

शिवम् मिश्रा said...

बहुत खूब !

Science Bloggers Association said...

पारूल जी, आपके भावों और सोच में ओस सा नयापन है।
................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?

दिगम्बर नासवा said...

रिश्ते भी तो कच्चे धागों की तरह होते हैं .... संभाल कर रखने पढ़ते हैं ...
बहुत खूबसूरत नज़्म है ...

Mahfooz Ali said...

बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...


Regards...


Mahfooz..

M VERMA said...

बेहतरीन नज़्म
ख्वाब की चाशनी .. और फिर नज़्म का चखना
बहुत खूब

पवन धीमान said...

बहुत मर्मस्पर्शी रचना !..बधाई

sonal said...

meethi meethi pyaari si nazm
aur khwaab ka libaas bahut khoob

Coral said...

बहुत सुन्दर !

Deepak Shukla said...

Hi,

agar samajhta wo bhavon ko..
fir na usne poochha hota...
wo muskaan nirarthak jaati..
gar na usne samjha hota..

aankhon ki bhasha wo padhta...
to na tujhse poochh wo paata...
sang main uske kya hai milta?
samajh swatah hi gaya wo hota..

Achha hai uttar de daala..
usne bhi socha to hoga...
tera uttar sunkar uska...
dil uska bhi dhadka hoga...

jis se bhi gar prem agar ho..
behtar hai sab batla den..
ek tarfa na prem rahe wo..
priyatam ko bhi jatla den...

Sundar bhav...donon kavitaon main baat ek hai bas shabd alag hain..

Deepak..

Deepak Shukla said...

hi...

Sundar nazm...

Deepak

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर नज़्म....पढते पढते खो सी गयी...

स्वप्निल तिवारी said...

khab ka pehna jana....khaab ki chashni ..aur gol si nazm ..sab kuch bahut pyara hai ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

wordy said...

aap aisa likhti ho ki har baar aana padta hai........god bless you!

mai... ratnakar said...

kafee hat kar aur achchha lekhan hai aapka. badhai

शिवम् मिश्रा said...

एक उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

SATYA said...

सुन्दर एवं मनमोहक प्रस्तुति,
आभार...

Parul kanani said...

shivam ji bahut bahut shukriya charcha ke liye!
baaki sabhi ka bhi bahut bahut aabhar!

कुश said...

चाँद का चाशनी में होंकर भी फीका रहना.. कमाल की कल्पना है..

Mansoor Naqvi said...

shabdon ka chayan achchha hai..

Mansoor Naqvi said...

saare urdu ke shabdon ke beech FABTA shabd kuchh atpata sa laga..

संजय भास्‍कर said...

बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार

Mansoor Naqvi said...

meri kavitaon par comment karne ke liye Parul ji aur sabhi sathiyon ka dhanyavad... main nhi jaanta ki mene jo likha wo kis star ka tha.. bas man me kuchh shabd aaye aur unhe likh diya.. ye mera kaam nhi hai.. basically main cartoonist hun.. mujhe aur zyada khushi hogi agar aap mere cartoons par comment karen.

मनोज कुमार said...

सुन्दर नज़्म..!

Chinmayee said...

Di,Thank you.... आप मेरा जो चाहे वो चित्र अपने ब्लॉग के लिए ले सकती है ...मुझे इंतज़ार रहेगा मेरे लिए बालगीत का !

कविता रावत said...

बड़े कच्चे से थे धागे
कहीं उलझे,कहीं टूटे
लफ़्ज़ों की गिरफ्त में
मैं दोनों को ही रखता था ॥
...Gahre marm ko chuti nazam...

सुधीर राघव said...

एक अम्बर का चुलबुला
दूजा मेरे मन का बुलबुला
मुझे दोनों की फिक्र थी

सुंदर रचना...

सागर said...

बहुत दिलचस्प, तुकबंदी पर आधारित आपकी नज्में बहुत भाती है, अच्छी बात यह है की यह जबरदस्ती सी नहीं लगती और कहीं-कहीं तो हैरान करती है. शब्दों में दोहराव भी नहीं लगता और कल्पना के साथ खुबसूरत शब्द चयन से एक मीठी सी नज़्म यहाँ तैयार होती है. यह काबिल-ए- तारीफ़ है... मुझे इसकी टियुशन दे दीजिये.

एक नहीं आपकी कई ऐसी कवितायेँ हैं जो सादगी से लिखने और सोचने पर ताज़ा महसूस कराती हैं.

Parul kanani said...

sagar ji itni hoslaafjayi ke liye dhanywaad..baaki sabhi ka bhi bahut aabhar!

Avinash Chandra said...

behad khubsurat..aur jo khab ki upmaayein hain...bahut hi badhiya

Apanatva said...

jitnee tareef kee jae kum hai............
nishavd kar dene kee taakat hai ise lekhan me.....

Pushpendra Singh "Pushp" said...

umda najm badhai swikaren

पंकज मिश्रा said...

पारूल जी,
शानदार पंक्तियाँ हैं, सुंदर रचना. आभार.

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

पहले भी एक-दो बार इधर आया हू लेकिन अभी सागर के ही ब्लोग से यहा पहुचा हू...

सागर ने जो कहा है वो मुझे पुरानी और कविताये पढने के लिये फ़ोर्स करता है.. देखिये जल्द ही..

इस नज़्म का फ़्लो अच्छा लगा और ’चाशनी मे भी फ़ीकी’ के क्या कहने.. वाह..

Asha Joglekar said...

एक ऐसी नींद बुनता था
जहाँ दोनों ही सो जाये
और फिर सारा जहाँ
ख्वाब की चाशनी में
गोल सी वो नज़्म चखता था॥
Wah behatareen.

निर्मला कपिला said...

एक ऐसी नींद बुनता था
जहाँ दोनों ही सो जाये
और फिर सारा जहाँ
ख्वाब की चाशनी में
गोल सी वो नज़्म चखता था॥
वाह बहुत खूब अच्छी लगी कविता। शुभकामनायें

विजयप्रकाश said...

वाह...ख्वाब का लिबास और लफ्जों की गिरफ्त...
बहुत अच्छी रचना

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut hisundar rachna jiski khoobsurati ki chashni se nikalne ka dil hi nahi karta.
poonam

Ashish said...

well done dear! :)

Mansoor Naqvi said...

new theme, new pic.. nice change Parul ji.. ur new pic is specially very beautiful...B/w photos are always more lively then colours.. isn`t it..

सुशील said...

बहुत खूब..गुलज़ार याद आ गए ...

crazy devil said...

kuch parts to ekdum awesome hain :)