तुम न आये मगर
ख़ामोशी आकर चली गयी
लफ्ज़ छिपते फिरे
पर वो सब सुनाकर चली गयी !
सुना भी क्या इस दिल ने
एक अदना सा फ़साना
जिसमें सिर्फ तन्हाई थी
मुश्किल था तुम्हे पाना
तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
मैं एक रात भी न बुन पाई
और वो एक पल में
जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!
मैं जब तलक थी इस सोच में
तुम क्यों नहीं आये?
उसने अपने किस्से
यूँ कई बार दोहराए
मैं पूछ न सकी कुछ भी
वो कहती चली गयी
मेरी ख़ामोशी पे सवाल उठाकर चली गयी !!
ख़ामोशी आकर चली गयी
लफ्ज़ छिपते फिरे
पर वो सब सुनाकर चली गयी !
सुना भी क्या इस दिल ने
एक अदना सा फ़साना
जिसमें सिर्फ तन्हाई थी
मुश्किल था तुम्हे पाना
तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
मैं एक रात भी न बुन पाई
और वो एक पल में
जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!
मैं जब तलक थी इस सोच में
तुम क्यों नहीं आये?
उसने अपने किस्से
यूँ कई बार दोहराए
मैं पूछ न सकी कुछ भी
वो कहती चली गयी
मेरी ख़ामोशी पे सवाल उठाकर चली गयी !!
12 comments:
"तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
मैं एक रात भी न बुन पाई"
आपको पहली बार पढ़ा है - बहुत खूब, लाजवाब, हार्दिक शुभकामनाएं
khamoshi ka bahut khoobsurat sketch hai. badhaai.
kirankant mishra
लाजवाब कहना बहुत कम होगा, क्योंकि तारीफ के लिए अल्फाज़ कम पड़ गये...
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएं..
बहुत सुन्दर रचना!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
man ke bhaavon ko aapne bakhoobi pesh kiya hai.
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!!
aap sabhi ka hardik abhaar!!
तेरे इंतज़ार में एक अरसे से
मैं एक रात भी न बुन पाई
और वो एक पल में
जिंदगी को ख्वाब बनाकर चली गयी !!
waah bahut khoob
atyant bhaavpoorn rachna.
achha laga padhkar.
aabhaar % shubh kamnayen
तुम न आये मगर
ख़ामोशी आकर चली गयी
लफ्ज़ छिपते फिरे
पर वो सब सुनाकर चली गयी !
सुन्दर अभिव्यक्ति....साधू
lafz chhipte phire
aur vo sab.........
what a imagination?
हम उन्हें सुनते रहे और गुफ्तगूँ चलती रही!
शुभ भाव
राम कृष्ण गौतम
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