When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, November 5, 2009
हाँ !
जिंदगी अपनी हद में बड़ी हताश सी है
जैसे हसरत कोई सदियों से बस 'काश' सी है ॥
ख्वाब,कहाँ किसी का होंसला बुलंद करते है
ये तो बस जब चाहे,आंखों को बंद करते है
अब तो मन को भी जैसे उजालों की आस सी है ॥
ख़ुद को ख़ुद ही न अगर समझें,तो फिर कौन जाने ?
अक्स मिल जाए कहीं अपना तो लोग पहचाने
मुझे हर आईने में अपनी ही तलाश सी है॥
आज तक जाना नहीं क्या सुकूँ हैं खुदा होने में
हाँ !मगर बहुत तकलीफ होती है ख़ुद से जुदा होने में
इसलिए शायद अब भी मुझको इंसां बने रहने की प्यास सी है ॥
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5 comments:
बहुत ही सुन्दर भाव!!
अच्छा लगा !!
अच्छे भावों से सजी रचना
सुन्दर अभिव्यक्ति!
दिल की गहराई से उपजी एक कविता!बधाई!
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