When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Friday, April 3, 2009
उम्मीद!!
चल रहे है कदम
तेरी राह तक ॥
मिट रहे है हम
तेरी चाह तक॥
टूटे से ख्वाब चंद
थे नम पलकों में बंद
बिखरेंगे कभी
तेरी आह तक॥
ख़ुद को भूल जायेंगें
बस तुम्हे दोहरायेंगें
लम्हा दर लम्हा
दिल से जिरह तक॥
बात कोई अनसुनी
जो थी दिल ने बुनी
शायद ले जाए मुझे
तेरी पनाह तक ॥
बस सोचूंगा तुम्हे
मैं जियूँगा तुम्हे
जिंदगी से किसी
भी सुलह तक॥
खामोशी सिल जायेगी
बात मिल जायेगी
वक्त भी पहुंचेगा
किसी वजह तक॥
शाम ढल जायेगी
रात चल जायेगी
उम्मीद खिल जायेगी
किसी न किसी सुबह तक॥
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4 comments:
bahut hi khoobsurat khyal hain
आशावाद की झलक लिए है यह रचना ,सुंदर और भावपूर्ण .
खूबसूरत शब्द से निकला यह भाव बेहद सुन्दर ।
बहुत सुन्दर मनोभाव के दर्शन!
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