Saturday, December 20, 2008

संग!!


आ साथ दोनों,जिंदगी के आखिरी इम्तिहां तक चले
बस न नाप फासला अभी कि कहाँ तक चले !!
हाँ जानता हू दूर है आंखों से वो मंजर
जिसके लिए तय कर आए है अभी तक ये लंबा सफर
थक गया है दिल,तलाशते हुए मंजिल
पर तस्सली भी है,हम साथ यहाँ तक चले!!
होंसला रख,न रख रंज दिल में जरा
देख रब ने जहाँ में कितना रंग है भरा
आंखों से बना ले तू भी जिंदगी की तस्वीर
कि जीकर हर लम्हा नए कारवां चले !!
आ बुझा ले आंसुओं से मन की तिशनगी
लगा ले भीगे भीगे पलों को गले ये जिंदगी
ये समन्दर दिल का किसी काम आए
आ दोनों संग फिर कहीं किसी दर्द के सहराँ तक चले !!
जो भर कर चली है दिल में न जाने कितने उजाले
ये एक उम्मीद,आ दोनों मिलकर संभाले
इन् रातों की काली स्याह से बचकर
कई रंगों से बुनी सुबह तक चले !!

7 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर।

Unknown said...

its really beautiful....the feeling of words really enormous....

keep writing....

Mohinder56 said...

बहुत अच्छा लिखा है आपने

आ साथ दोनों, जिंदगी के आखिरी इम्तिहां तक चले
बस न नाप फासला अभी कि कहाँ तक चले !!

ऐसा हो जाये तो आदमी को और क्या चाहिये..

Vinay said...

बहुत ही बढ़िया

-----------------------
http://prajapativinay.blogspot.com/

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

जो भर कर चली है दिल में न जाने कितने उजाले
ये एक उम्मीद,आ दोनों मिलकर संभाले
इन् रातों की काली स्याह से बचकर
कई रंगों से बुनी सुबह तक चले !!

बहुत ही खूबसूरती से भावनाओ लो शब्दों में ढाला गया है. एक एक शब्द दिल को छू लेता है.

डॉ .अनुराग said...

सच कहा !

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

गागर में सागर
प्रभावशाली रचना

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com