When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, December 18, 2008
एतबार !!
जिस तरह से ख्वाहिशों के मंजर उभरने लगे है
हम न जाने तुमसे क्यों डरने लगे है ?
कशमकश में है, किस तरह हो तुम से मुखातिब
रोज देखकर आइना सवंरने लगे है !!
ये भी मालूम नही क्या दिल की जुस्तजू है
वो कोई और है या की बस तू है
पर लगता है कभी जिंदगी तेरे रु-ब-रु है
इस कदर तुझ पे शायद हम मरने लगे है !!
तेरा अक्स लगने लगी है हर किताब
जो करती है मुझसे सवाल बेहिसाब
एक एक जवाब के लिए अब
बस हम तेरी आँखें पढने लगे है !!
बड़ी खूबसूरत हुई साजिश है
जिसमें शामिल तेरी कशिश है
कि हर कश में तुम्हे पाने को
हम आहें भरने लगे है !!
तन्हाई में तुमसे बातें करके
जिंदगी जीते है, हर लम्हा भरके
हमको भी अब यकीं होने लगा है
कि हम तुमसे प्यार करने लगे है !!
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6 comments:
बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़
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रूमानी एहसास पर खूबसूरत कविता।
Parulji,
Bahut hee komal bhavnaon bahut hee khoobsooratee ke sath likha hai apne.khas taur se antim panktiyan kafee dil ko chhoone valee hain Hardik badhai.
Hemant
thanx to all of u
wha... kya romanticism hai !!!
wha wha ... bahut khoob :)
तन्हाई में तुमसे बातें करके
जिंदगी जीते है, हर लम्हा भरके
हमको भी अब यकीं होने लगा है
कि हम तुमसे प्यार करने लगे है !!
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