When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Sunday, January 23, 2011
उफ़!
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
फिक्र में धुएँ का कश है
इतना ही तो इस पे बस है
एक घूँट सवाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
जाने कैसी है ये बोटी
रूखी-सूखी,खरी-खोटी
एक तमाशा तेरा मेरा
और तन्हाई से हासिल ताली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
ख़्वाबों से रोज छनती है
खामखा मुझ में सनती है
मन के जैसी जाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
कुछ बुझी सी धूप भी है
कुछ जली सी छाँव भी
और कहीं पे पड़ गए हैं
सोच के कुछ पाँव भी
उबली उबली सी है अब भी
गरम चुस्की भरी ख्याली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
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60 comments:
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
बन गई हाय गाली जिन्दगी
बेहतर ढंग से पेश एक बिल्कुल नया अंदाज़, नये प्रयोगो का एक नया सिलसिला, बहुत अच्छे..
लेकिन
'और तन्हाई से हासिल ताली जिंदगी'
इस सतर की चुन्नटें ज्यादा बिखर गई हैं, जरा सा समेट लें.... चाहें तो यूं...
तनहाई की ताली जिन्दगी / तन्हाई की पाली जिन्दगी/ लगती बिल्कुल ज़ाली जिन्दगी..बगैरह बगैरह..
आजकल मैं भ्भी कहीं नहीं पहुंच पा रहा हूं...और लोग नतीज़ातन भूलते जा रहे हैं ..आपका शुक्रिया कि आए
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बहुत खूब है ये साली जिंदगी !
बेहतरीन वर्णन !!!!
आप की सभी रचनाएँ पढ़ी हैं मैने....और मेरी नज़र में बोहोत ही सुंदर लिखतीं हैं आप...और क्या कहूँ....बस खुश रहिए मुस्कुराते रहिए...बड़ा ही आसान होता है... बेवजह गम वैसे ही बेवजह खुशी भी तो हो सकती है...:)
गरम चुस्की की प्याली जिन्दगी,
मज़े लेकर पीजिये।
फिक्र में धुएँ का कश है
इतना ही तो इस पे बस है
एक घूँट सवाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
kya baat hai, bilkul naya andaaz. bahut khoob
उफ़....उफ्फ्फ.....उफ्फ्फ्फ़.....
ये साली ज़िन्दगी .....
फ़िक्र को धुंएँ में उड़ाती ज़िन्दगी ...
पारुल जी आज तो ज़िन्दगी की ऐसी-तैसी कर दी .....!!
जिन्दगी की नई परिभाषाएँ बहुत प्रभावशाली रहीं!
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
उफ़ ..आज ज़िंदगी भी गाली बन गयी है ....मन की वेदना को बहुत संवेदनशीलता से लिखा है ..
फिक्र में धुएँ का कश है
इतना ही तो इस पे बस है
एक घूँट सवाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
ज़िन्दगी की कड़वाहट को कुछ अलग तरीके से उकेरा है -
bahut hi behter rachhna hai
कमाल की रचना है, बेहतरीन! बहुत सुन्दर है ये साली ज़िन्दगी!
सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली ।
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
I really enjoyed reading the posts on your blog.
uff ! yahan aaker main thahar gai... kise khaas banaun , kise kam kahun ... shabdon ke is rishte mein koi bhi dhaaga kamzor nahin ...
aapki rachna ' tum ' vatvriksh ke liye chahiye rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath
मुझमें santee है ये साली ज़िन्दगी ...क्या बात है ..
पारुल जी,
वाह...वाह....वाह.....ये साली जिंदगी.......वाह.......
बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट .......पर इस पोस्ट ने सारी शिकायत ख़त्म कर दी......क्या कहूँ तारीफ़ के लिए अल्फाज़ नहीं हैं मेरे पास.....ऐसा लगा जैसे गुलज़ार साहब की कोई नज़्म गीत के रूप में पढ़ रहा हूँ.....
इस पोस्ट के लिए आपको ढेरों शुभकामनाये.......
वाह पारुल जी ,कितना खूबसूरत लिखा आपने !
ज़िंदगी की ऊब से निकली यह नज़्म ,बहुत
असरदार लगी !
इस मौलिक और अनूठी रचना के लिए बहुत बधाई !
वाह ...बहुत ही सुन्दर शब्द ।
उफ्फ्फ़ पारुल... एकदम जानलेवा टाइप रचना :)
एक घूँट सवाल जिंदगी ...
उफ़ ... गुलज़ार की नज्में यकबयक सामने आ जाती हैं ...
बहुत ही कमाल की नज़्म है ... हर बार मुंह से क्या बात है ... ही निकलता है ...
कुछ बुझी सी धूप भी है
कुछ जली सी छाँव भी
और कहीं पे पड़ गए हैं
सोच के कुछ पाँव भी
उबली उबली सी है अब भी
गरम चुस्की भरी ख्याली जिंदगी ..
बहुत सुन्दर.
one of your best........
love this....
ख़्वाबों से रोज छनती है
खामखा मुझ में सनती है
मन के जैसी जाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति..भाव दिल को छू लेते हैं..
कुछ बुझी सी धूप भी है
कुछ जली सी छाँव भी
उबली उबली सी है ...
..उफ़! ये साली जिंदगी !!
ये खाली जिंदगी -डूबी सी है खुद के अन्दर
बहुत अच्छी रचना जिंदगी पर ...धन्यवाद और शुभकामनाएँ
no comments .kuchh nahin likhne se behatar kuchh likhna hai
no comments .kuchh nahin likhne se behatar kuchh likhna hai
no comments .kuchh nahin likhne se behatar kuchh likhna hai
उफ- काफी है जिन्दगी के लिये। उसके सार के लिये। बुझी धूप और जली छांव ने जिन्दगी के तार को झंकृत सा कर दिया है। उफ ये साली जिन्दगी। उबली हुई.......।
बेहतरीन रचना ..... बस ऐसी ही है यह ज़िन्दगी....
जिंदगी के बारे में बिल्कुल सही नजरिया।
uf! ye saali zindagi..
zindagi sach me yesi hi cheez hai, lekin aapki poem zindagi ke har rang se kahin behtar..... hamesha ki tarah.
भावों को शब्दों के अलंकरण से कैसे उकेरा जा सकता है इसका सुंदर उदाहरण। बहुत रोचक रचना……
फिक्र में धुएँ का कश है
इतना ही तो इस पे बस है
एक घूँट सवाली जिंदगी...
ज़िंदगी पर झुंझलाहट सी उतारती गज़ब की उफ़ है :):)
यह अंदाज़ भी मन को बहुत भाया ..
जिंदगी की विद्रूपताओं का सटीक चित्रण।
---------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
गज़ब पारुल गज़ब!!!
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
बन गई हाय गाली जिन्दगी
वाह!!!
कमाल की रचना है,बहुत सुन्दर है ये साली ज़िन्दगी!
bahut khoob likha hain
uff saali ye jindagi...
chk out my blog also
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
is bar tuk ke saath likhne ki koshish kee hai aapne... tuk par likhte waqt lay par pakad rakhna bahut zaroori ho jaataa hai.... bahut lambe arse baad aa sakaa yahaan aur aapka naya prayas padhne ko mila..bahut acchha lagaa....
ek baar kuch lines likheen theen maine..
घूँट घूँट पी गया समंदर
निकल जो खरा था अंदर
देख ले इक तेरे आने से
सब खारापन निकल गया ...
hehe aur jis din ye upar wali ghatnayen ghateen us din ke baad se zindagi ko saali kahne kee zaroorat hi nahi padi...
:)
पारुलजी बहुत सुन्दर रचना है आपकी
गरम चुस्की भरी ख्याली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
....माफ़ी चाहती हू व्यावसाईक व्यस्तता के कारण मै बहुत दिनों से यहाँ नहीं आ पाई .उफ़!ये साली जिंदगी !!... पर जब भी फिर समय मिलेगा मै फिर से आउंगी ....
आपको नए साल तथा गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाये !
kya baat hai!
खामखा मुझ में सनती है
मन के जैसी जाली जिंदगी
उफ़! ये साली जिंदगी !!
यह क्या कह दिया जी जिन्दगी को आपने .....पर कविता है गंभीर ...शुक्रिया
सच कहें तो
जिन्दगी है एक दिन ......
sundar rachana
Beautiful expression!
आखों से छलक कर, रूह में बिख़र जाती है.
इत्र में लिपटी हुई खुशबू सी बहक जाती है.
ज़िंदगी जब तक ज़िंदगी रहती है,
कितनी ख़ूबसूरत नज़र आती है
bs aisi hi ye jindgi ! apna-apna najriya hai ,
behtrin prastuti hetu abhaar........
डूबी सी है खुद के अन्दर
ढूँढती है फिर भी समंदर
जाने क्यों ये खाली जिंदगी
उफ़!ये साली जिंदगी !!
आपने एक दम सही लिखा
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
"गौ माता की करूँ पुकार सुनिएे ....." देखियेगा और अपने अनुपम विचारों से हमारा मार्गदर्शन करें.
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com पर आकरहमारा हौसला बढाऐ और हमें भी धन्य करें.......
आपका अपना सवाई
बहुत दिन बाद वापसी के लिए धन्यवाद |वसीम बरेलवी का एक शेर भेंट कर रहा हूँ .जो तुममे मुझमे चला आ रहा है बरसों से कहीं हयात उसी फासले का नाम न हो
\धन्यवाद
बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ - उफ़!ये साली जिंदगी !!
sundar bahut sundar
काश सिमटी फिक्र रहती
हर ख्याले जिक्र रहती
लम्हा लम्हा बवाली ज़िन्दगी
उफ..!ये साली ज़िन्दगी!!
बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ...........
very good ji aap ne to kamal kar diya.
क्या बात है !
हर फ़िक्र को धुएं में
sanajeedgi bhari rachna.
Blog acchi rachnaayen..
blog bahut achhi hai,
bahut achhi rachanayeen..
lajvav prastuti parulji....jindgi ka chitr prastut kar diya aapne....
पारुल जी मेरा विनम्र निवेदन है की शीघ्र कुछ लिखिए
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