आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
बैठे रहे यूँ देर तक
ख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
आ तो गए है संग हम
इस ख़्वाबों के मेले में
करनी है तुमसे गुफ्तगू
मुझको मगर अकेले में
कोई ख्वाब लेने से पहले
सोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥
28 comments:
koi khwaab lene se pahle
sochta hoon bajar se ek raat loon..
wah!
simple words...deep thoughts
u have a wonderful collection of poems..g8 job.
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
बहुत खूब --- सुन्दर भाव
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ...
बहुत खूब .......... अक्सर मन चाहता है उन सभी ख्वाहिशों को पूरा करना ..... जो हसीन लम्हों को सिमेट कर बुनी होती है ....... बहुत की कोमल एहसास .........
आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
बैठे रहे यूँ देर तक
ख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥
....
कोई ख्वाब लेने से पहले
सोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥
"आज सच ही कहा था"
ढेरों आशीष के साथ
वाह..वाह..वाह... बहुत ही सुन्दर भाव...सुन्दर अभिव्यक्ति..
Bahut hi sundar...
आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
ख्वाहिशों के धागों से
बुनने को फिर कोई बात लूं ॥
पारुल मैं तो तुम्हारी फैन बन गयी लाजवाब और मुझे लग रहा है
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं ॥ मैं पारुल को साथ ले लूँ आशीर्वाद्
parul.....
bahut sunder bhavo kee ye bunaee.............
bahut dil ko hai bhaee...........
पहले तो शुकर है ब्लॉग हिंदी में है... अंग्रेजी नाम देख कर तो दर गया था... पढता हूँ कभी फुर्सत से...
बहुत ही सधी हुई अभिव्यक्ती - "कोई ख्वाब लेने से पहले सोचता हूँ बाजार से एक रात उधार ले लूं ॥"
सुन्दर प्रतीकों के साथ उत्कृष्ट रचना!
वाया कस्बा शब्दों की लय तक पहुंचा हूं। बहुत लयदार लफ्ज हैं। बड़ी संज़ीदा रचनाएं। कवित्त की यही ख़ासियत है कि हर किसी की कहानी होता है और इससे समानुभूति(Empathy)हो जाती है। बहुत बढ़िया लगीं आपकी रचनाएं।
आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
Waah Bahut Khoob...Achchhi Lagi aapki yeh rachna...
कोई ख्वाब लेने से पहले
सोचता हूँ बाजार से एक रात लूं ॥nice
वाह! बहुत खूब कहा!
आज फिर थोड़ी सी जिंदगी
मन के करघे पे कात लूं ॥
aap sabhi ka hardik aabhar!
शब्दों की सुंदर चित्रकारी , बधाई
अभिव्यक्ति का नयापन और सृजनशीलता की सोंधी महक लिए रचना -
बहुत जोरदार rachnaa...
simply beautiful
बैठे रहे यूँ देर तक
ख़ामोशी के कहकहो में
खो जाये साँसों को ढूँढने
उम्मीद की तहों में
थोडा सा रुक,मन कह रहा है
मैं जिंदगी को भी साथ लूं
it's realy nice...achchi kavita
Thanks for come to my blog... but my new blog is dafaa512.blogspot.com. and mydunali.blogspot.com
so pls visit that..
Madam you submit 5 comments on my old blog. thanks. your blog is too good, thats nice... dear,
your writing is again excellent.. too too much good.. thanks to give such a blog to us.
nice. achchhi lagi aapki kavita .
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है!
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है!
lajbab bahut sundar badhai ho jarur bunuga riste ke is door ko prem ke karghe par...
exceelent creation ..bandhaii ho
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