When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Monday, September 14, 2009
हिन्दी दिवस पर ...
हर शब्द पर हम क्षुब्ध है
हर वाक्य पर हम मौन है
ये कैसी आधुनिकता है ?
जहाँ आत्मसम्मान गौण है।
हर क्षण में अंतर्द्वंद है
अपनी भाषा के सवाल पर
मर चुकी है सोच
ख़ुद से आशा के ख़्याल पर
अभिव्यक्ति की परतंत्रता का
आख़िर अपराधी कौन है ?
क्यों गर्व है आख़िर हमें
विदेशी शब्दों की धार पर
हम कैसे युद्घ जीत सकते है ?
औरों की तलवार पर
भ्रमित सी मानसिकता का
ये विक्षिप्त सा दृष्टिकोण है ।
ये प्रयास भर है ....सार यही है ..."निज भाषा उन्नति अहै"....आप सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनायें
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10 comments:
सटीक लिखा है .. विदेशी शब्दों की धार पर
हम कैसे युद्घ जीत सकते है ? .. ब्लाग जगत में आज हिन्दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्छा लग रहा है .. हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!
पारुल जी सवाल तो आपने वाज़िब उठाया है जिसका मैं समर्थन करता हूं इसी लिए मैने ‘हिन्दी का श्राद्ध’ व्यंग्य लिखा है जो आपके विचारों का पृष्ठांकन करता है जरूर पढें। कविता अच्छी है। धन्यवाद।
सटिक लिखा है आपने .......हिन्दी दिवस पर बधाई......ऐसे ही लिखते रहे.
ख़ुद से आशा के ख़्याल पर
अभिव्यक्ति की परतंत्रता का
आख़िर अपराधी कौन है ?
sahee sawaal
अच्छा लिखा आपने।
आप को हिदी दिवस पर हार्दीक शुभकामनाऍ।
पहेली - 7 का हल, श्री रतन सिंहजी शेखावतजी का परिचय
हॉ मै हिदी हू भारत माता की बिन्दी हू
हिंदी दिवस है मै दकियानूसी वाली बात नहीं करुगा-मुंबई टाइगर
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ। कविता बहुत सुन्दर है।
सुपर्व...
हार्दिक शुभकामनाएं।
{ Treasurer-S, T }
अच्छा लिखा है---हिन्दी के प्रति आपकी जागरूकता के लिये बधाई।
पूनम
bahut acchi poem hai... keep writing....
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