When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Friday, September 25, 2009
इस तरह..
रास आया नही मुझे जिंदगी का इस तरह से चले जाना
और गम का मुझको इस तरह से छले जाना ॥
मैं जाता देख उसको खाली हाथ सी खड़ी ही रह गई
न समझ आया उसे मेरा बार बार रुकने को कहे जाना ॥
वो ऐसी रात थी जिसमें मेरे सब ख्वाब रोये थे
उम्मीद की कोख में जिंदगी ने दर्द के बीज बोए थे
रात भर जागकर भी पूरी न हुई जीने की हसरत
तय ही था सुबह का अपनी आंखों को मले जाना ॥
कौन जाने, मैं लम्हा दर लम्हा ख़ुद के लिए तरसती थी
हर उम्मीद आँसू बन हालत पर बरसती थी
मैं देख ख़ुद को अक्सर आईने पे हंसती थी
नही भाता था मुझे अस्तित्व का खले जाना ॥
बड़ा मुश्किल रहा मेरे लिए जिंदगी का ये धोखा
मैं देना चाहती थी फिर भी ख़ुद को भी एक मौका
छोड़ जिंदगी की आस,लिये ख़ुद को जीने की प्यास
बहुत तकलीफ देता था आसूँओं में उम्मीद का पले जाना ॥
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8 comments:
बहुत सुन्दर लिखा है पारुल!परन्तु यह आंसुओं में पलती उम्मीद ही जिजीविषा है.
घुघूती बासूती
रास आया नही मुझे जिंदगी का इस तरह से चले जाना और गम का मुझको इस तरह से छले जाना ॥
सुन्दर रचना
बहुत खूब लिखा है.
वो ऐसी रात थी जिसमें मेरे सब ख्वाब रोये थे
उम्मीद की कोख में जिंदगी ने दर्द के बीज बोए थे
एहसास के ये स्वर बहुत मार्मिक है.
छोड़ जिंदगी की आस,लिये ख़ुद को जीने की प्यास
बहुत तकलीफ देता था आसूँओं में उम्मीद का पले जाना ॥
dil ko choo jane walee rachana .
छोड़ जिंदगी की आस,लिये ख़ुद को जीने की प्यास
बहुत तकलीफ देता था आसूँओं में उम्मीद का पले जाना ॥
बेहद सुन्दर रचना.............जिन्दगी उम्मीद से बनी होती है और उम्मीद के जन्म होते ही आंसूओ से रिश्ता होना बिल्कुल सही है .......
छोड़ जिंदगी की आस,लिये ख़ुद को जीने की प्यास
बहुत तकलीफ देता था आसूँओं में उम्मीद का पले जाना
bahut sunder bhav hai kavita ke,ye umeed hi jeene ka naya sawera le aati hai.
"छोड़ जिंदगी की आस लिये,
ख़ुद को जीने की प्यास
बहुत तकलीफ देता था,
आसूँओं में उम्मीद का पले जाना ॥"
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बधाई!
वाह मन छू गई आप की यह पंक्तियाँ..बड़े अच्छे भाव उभरकर आये हैं साधू
वो ऐसी रात थी जिसमें मेरे सब ख्वाब रोये थे
उम्मीद की कोख में जिंदगी ने दर्द के बीज बोए थे
रात भर जागकर भी पूरी न हुई जीने की हसरत
तय ही था सुबह का अपनी आंखों को मले जाना ॥
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