Saturday, March 14, 2009

ऐ जिंदगी..


थम जा, जिंदगी..थम जा!!
मुझे मेरे होने का मतलब समझा ॥
देख संग मेरे रातों को जागकर
क्या मिलेगा ख्वाबों के पीछे भागकर
टूट जायेंगें ये,छूट जायेंगें ये
सुबह की हमसफ़र अब बन जा॥
बनकर चमकाएगी आंसुओं को
कब तलक मोती
जो अँधेरा ही न मिटा सके
ऐसी भी क्या ज्योति
मन की किसी उम्मीद से छन जा॥
आ जरा हर दिल तक लौट चल
साथ दे तो हर मुश्किल हो जाए हल
तेरे संग शायद मैं भी जाउं संभल
मेरी भी कुछ तो तू सुन जा ॥
मैं तेरी खोज में
तू मेरी तलाश में
रह जाए न यूं ही
अधूरी सी आस में
छोड़ भी दे अब आंखों से बुनना
मन से भी कुछ बुन जा॥

12 comments:

Barman said...

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Unknown said...

थम जा, जिंदगी..थम जा!!
मुझे मेरे होने का मतलब समझा ॥
देख संग मेरे रातों को जागकर
क्या मिलेगा ख्वाबों के पीछे भागकर
टूट जायेंगें ये,छूट जायेंगें ये
सुबह की हमसफ़र अब बन जा॥



बहुत सुन्दर रचना लगी । बधाई

mamta said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।

ghughutibasuti said...

सुन्दर!
बहुत कठिन बात पूछ रही हैं जिन्दगी से !
घुघूती बासूती

Mohinder56 said...

आपने तो अपनी कह दी जिन्दगी से.. अगर जिन्दगी को कुछ कहना हो तो क्या करे...शायद वो आपके साथ साथ ही है :)

हर तरफ़ नूर ही नूर... जलवे ही जल्वे
सिर्फ़ अहसास की जरूरत है..
तुम न मानो मगर हकीकत है ..

mehek said...

तू मेरी तलाश में
रह जाए न यूं ही
अधूरी सी आस में
छोड़ भी दे अब आंखों से बुनना
मन से भी कुछ बुन जा॥
khubsurat lagi ye lines,badhai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

काँटों में रह कर गुलाब,

हँसता है-मुस्काता है।

मानव है कितना दुर्बल,

दुःखों से घबराता है।।

ठहरती पल-भर नही है,

बहते दरिया की रवानी।

रात-दिन चलते ही रहना,

जिन्दगी की है निशानी।

रंजना said...

Waah ! bahut hi bhaavpoorn sundar geet !

Shabd dil ko chhoo gaye.

पूनम श्रीवास्तव said...

Parul,
bahut sundar kavita..achchhee abhivyakti.
lekin itnee udasee..nirasha ..har kavita men..kyon?
Poonam

रश्मि प्रभा... said...

क्या मिलेगा ख्वाबों के पीछे भागकर
......
zindagi ke dard ko bahut achhe dhang se jana aur likha hai,mann ke bhaw bahut achhe hain

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर रचना है ... बधाई।

Parul kanani said...

aap sabhi ka hardik aabhar!