Friday, November 11, 2016

दर्द!



दर्द को तो दर्द के बहाने चाहिए
हो सके तो गम भूलाने चाहिए !
न रखो यूँ कदम इश्क़ की दहलीज़ पर
रख दिया तो रिश्ते निभाने चाहिए !
है कोई तो वास्ता यूँ भी तेरा और मेरा
इसमें भी क्या वजूद पुराने चाहिए !
आह अक्सर दिल से ही निकलती है
क्यों  क़िस्से फिर दोहराने चाहिए!
दिल की परछाइयाँ गहरी होने लगी है
फिर क्यों रात के मुहाने चाहिए !
अब भी रखा है जिंदगी तले तुम्हारा दर्द
नहीं जीने को सपने सुहाने चाहिए !! 

8 comments:

Rajesh Kumar Rai said...

वाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति। बहुत खूब।

Unknown said...

Abhi rakha hai zindagi tale tumhara dard.... Beautiful lines

Unknown said...

Your blogging is superb...

wordy said...

Dil ki parchhaiyaan gehri hone lagi
..... Raat ke muhane chahiye
Kamaal!!

wordy said...

Ishq ka tajurba hai ye.. Ki dard hota hi hai

Anonymous said...

Aapko to lafz bhar chahiye... Kehani likhne ke liye.. Sahi keha na :)

दिगम्बर नासवा said...

गम को भुलाने के बहाने मिल जाएँ तो बात ही क्या ... बहुत लाजवाब और गहरे शेर हैं ...

Manish K Singh said...

बेहतरीन ....!