When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Sunday, April 18, 2010
वो!
वो जो रहता है मुझे में जिंदगी की तरह
ढूंढता हूँ उसे कि शायद हो वो किसी की तरह
वो आकर कभी पहचान अपनी दे जाये
नहीं रहना चाहता संग उसके अजनबी की तरह!!
लफ्ज़ खो जाये कहीं.उसको जो चुप सा देखे
आइना बन के मन और भला क्या देखे
क्यों मिलता नहीं वो मुझसे
यूँ भी सभी की तरह!!
क्या उसने भी लगाया है
औरों सा मुखोटा
या उसको समझने में
पड़ जायेगा जीवन छोटा
सोच बनती जा रही है जैसे सदी की तरह!!
वो चाहे तो तन्हाई मेरी संग ले ले
कुछ रंग रख छोड़े है वो सारे रंग ले ले
मगर हो जाये शामिल मुझे में
मुझ ही की तरह!!
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32 comments:
सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति...बहुत बढ़िया रचना.
क्या उसने भी लगाया है औरों सो मुखौटा
या उसको समझने में पड़ जाएगा जीवन छोटा !
गहराई है शब्दों में ! बहुत अच्छा !
bahut khoob parul ji...waah
achhi prastuti....
aapki lekhan kala nirali hai...
aage bhi aisi hi prastuti ki ummid karta hun.....
DHANYAWAD...
ye kaisa bhrm.....?
मुखड़ा तो बढ़िया है ही!
पूरी रचना भी बहुत मखमली है!
bahut sundar rachna !Your selection of words is amazing.
sundar post
"वो जो रहता है मुझे में जिंदगी की तरह
ढूंढता हूँ उसे कि शायद हो वो किसी की तरह....."
जी बहुत ही सुन्दर भाव प्रस्तुत किये आपने यहाँ!
कुंवर जी,
bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com
shekhar kumawat
bahut khub
http://kavyawani.blogspot.com
shekhar kumawat
कितनी खुबसूरत कविता लिखती हैं आप...जैसे एक तन्मयता, एक तल्लीनता हो आपके शब्दों में !
बहुत खूब ... कोई तो है जो अपनी पहचान नही देता ... मन में है पर नाम नही देता ...
बहुत अच्छे से निभाया है दिल के जज्बातों को ....
कुछ रंग रख छोड़े है वो सारे रंग ले ले
मगर हो जाये शामिल मुझे में
मुझ ही की तरह!!
बहुत सुन्दर -- वाह
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
bahut khub.....
achhi rachna hai...
khud se main to nikalne ki achhi si koshish.....
shekhar
http://i555.blogspot.com/
bahut badiya....
पहली पंक्ति में मुझे में की जगह शायद मुझमे होगा..
बढ़िया बन पड़ा है इस बार.. शुरू की चार लाईन्स मस्त है और सारे रंग ले ले वाली भी..
क्या शब्दों के साथ जादूगरी है ........... बेहतरीन लिखा आपने.
पारुल बधाई!
तुम्हारी सोच और रचनाशीलता भी उत्तम हैं और साज सज्जा की समझ भी। भाव भी हैं और अभिव्यक्ति भी सधी है, और उम्र इतनी छोटी!
अगर लिखती रहीं तो बहुत आगे तक जाना है तुम्हें, इसलिए मेरी बधाई और शुभकामनाएँ, और शुभेच्छा भी - कि "जारी रहिए"
bahut hisundaravam gaharai se lkhi hai ye post aapne.
poonam
himanshu ji .aapka aashirwaad raha to jarur..
baaki sabhi ka bhi bahut bahut aabhar :)
वो चाहे तो तन्हाई मेरी संग ले ले
कुछ रंग रख छोड़े है वो सारे रंग ले ले
मगर हो जाये शामिल मुझे में
मुझ ही की तरह-----
Bahut sundar bhav aur shabd dono hee.
पारुल आप कविता अच्छा लिखती हो... विशेषकर तुकबंदियों में... सामान्यतः ऐसी कविताये ज्यादा प्रभाव छोडती हैं और देर तक मधुर लगती हैं... इसे बनाये रखें...
सुन्दर कविता.
क्या लिख दिया . बहुत बहुत बधाई ।
बेहतर,बढिया एवं बेबाक अभिव्यक्ति।
हर बार की तरह ...बहुत सुंदर शब्दों में .... पिरोई गई ....एक बहुत ही सुंदर कविता....
Regards.....
हर बार की तरह ...बहुत सुंदर शब्दों में .... पिरोई गई ....एक बहुत ही सुंदर कविता....
Regards.....
'wo'me mukhoto ki baat acchi lagi.acche vicara khushboo ki tarah hote hai, khoob failete rahe, yahi kamna.
mere blog par nazre inayat ki shukriya.
www.pachmel.blogspot.com
aur haan meri nayi kavita padhna na bhuliyega...
ACHHI LAGI TO DUBAARA PADHNE CHALA AAYA....
regards
http://i555.blogspot.com/
aapki tanhayiyon se sayad vo door jaa raha hain
aap chahte hain ki bo ho jaaye aap jaisa,par vo ghabra raha ahin
accha likha hain ,beech main thoda laga ke aap bhatak rahe haiin ,par last main phir se ley pakad li
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