When emotions overflow... some rhythmic sound echo the mind... and an urge rises to give wings to my rhythm.. a poem is born, my rhythm of words...
Thursday, November 26, 2009
होंसला..
किस उम्मीद की हद तक उस बंजर को जीयें
आख़िर कब तक उस गुजरे मंजर को जीयें
दर्द तेरा न शायद कभी समझ पाएं हम
और ख़ुद को भी तो कैसे ये समझाएं हम
जाने वाले चले गए,न अब लौट पायेंगें
फिर कब तक हम तेरी पथरायी सी नज़र को जीयें ?
न खफा हो तू ख़ुद से और न मुझ से जुदा हो
ऐसा करने से क्या हासिल,ऐसा होने से क्या हो
चल साथ मिलकर हम अपनी जिंदगी को भूला दे
जो गया है अचानक,उसकी खातिर उसकी उमर को जीयें ।
कुछ ऐसा करें,वो जहाँ भी हो बस मुस्कुराये
उसकी शहादत बस एक याद बनकर न रह जाए
उसकी हर ख्वाहिश पूरी कर ख़ुद में उसको पा लें
न कि बस उसको खो देने के डर को जीयें ।
ये पंक्तियाँ उन बेनाम जांबाजों के लिए जो आज हम सबके बीच होकर भी नही है
और उन लोगो के लिए जिनके दिलों में वो आज भी कहीं है...!!
ये उन लोगो के लिए जिनकी आँखें आज भी नम है
और उन लोगो के लिए जिनको आज भी "अपनों को" खो देने का गम है !!
ये लिखना भी बहुत आसान है और कहना भी आसान है
पर आज जिस मुश्किल से गुजर रहे है ये लोग,क्या उस मुश्किल में रहना भी आसान है?
एक सवाल हम सबके लिए...(ये तस्वीर उस मासूम की जिसने नरीमन हाउस में अपने माता-पिता को खो दिया)
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9 comments:
शहीदों हम शर्मिंदा हैं, एक साल हो गये ,गुनह्गार अभी तक जिंदा हैं
vakai aesi ghatnaaye naa ho to hi badhiya
नमन एवं श्रृद्धांजलि!!
nice
शहीदों विनम्र श्रद्धांजलि।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
श्रृद्धांजलि...
नमन एवं श्रृद्धांजलि!
बहुत ही भावनात्मक रचना-----
पूनम
jakhmo ko taza karatee rachana .Kash anhisa ka marg sabhee apanale .
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