Thursday, September 17, 2009

ढूंढता है.....


दिल इबादत ढूंढता है
अपनी चाहत ढूंढता है
जिंदगी की कशमकश में
बूँद बूँद राहत ढूंढता है ।
आसूँओं के जलजलों में
यादों के उन काफिलों में
होता है जब बेपरवाह सा
तो जीने की आदत ढूंढता है।
होती नही उसको कभी ख़ुद की ख़बर
करता है वो जाने क्यों औरों की फिकर ?
कभी ऐसे ही याद आ जाता है जब वो ख़ुद को
बेसब्र होकर तन्हाई का लिखा ख़त ढूंढता है ।
चंद लम्हों में ही डर जाता है वो
एक उम्मीद भर से,इस कदर भर जाता है वो
अपने किसी टूटे हुए से ख्वाब में
हर रोज जिंदगी की लत ढूंढता है।

11 comments:

ओम आर्य said...

दिल इबादत ढूंढता है
अपनी चाहत ढूंढता है
जिंदगी की कशमकश में
बूँद बूँद राहत ढूंढता है ।
बिल्कुल कुछ ऐसे ही एअह्सास होते है जिन्दगी जीने के क्रम मे .........कुछ ऐसी ही ख्वाहिशो की नाम जिन्दगी है!

M VERMA said...

बूँद बूँद राहत ढूंढता है ।
एहसास की यह खूबसूरत रचना राहत देने वाली है.

Anonymous said...

राहत की बूंदे ... खूबसूरत अहसास .

mehek said...

होती नही उसको कभी ख़ुद की ख़बर
करता है वो जाने क्यों औरों की फिकर ?
कभी ऐसे ही याद आ जाता है जब वो ख़ुद को
बेसब्र होकर तन्हाई का लिखा ख़त ढूंढता है ।
sach bilkul dil aisa hi hota hai,sunder rachana.aapko padhna hameha ek alag si anubhuti hoti hai,zindagi ke kareeb ki sachai,waah

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा पढ़कर.

Mithilesh dubey said...

हमेशा की तरह खुबसूरत रचना........बधाई.........

Mishra Pankaj said...

बहुत सही और शानदार रचना

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

होती नही उसको कभी ख़ुद की ख़बर
करता है वो जाने क्यों औरों की फिकर ?
कभी ऐसे ही याद आ जाता है जब वो ख़ुद को
बेसब्र होकर तन्हाई का लिखा ख़त ढूंढता है ।
पारुल जी ,
काफ़ी अन्तराल के बाद आपके ब्लाग पर आ सका हूं ---लेकिन बहुत ही उम्दा रचना पढ़ने को मिली।
हेमन्त कुमार

पूनम श्रीवास्तव said...

आसूँओं के जलजलों में
यादों के उन काफिलों में
होता है जब बेपरवाह सा
तो जीने की आदत ढूंढता है।

सुन्दर पन्क्तियां------
पूनम

Apanatva said...

आज तो था यहाँ पहला कदम
अब तो आना होगा ही हरदम |

Apanatva said...

आज तो था यहाँ पहला कदम
अब तो आना होगा ही हरदम |