Sunday, January 11, 2009

एक सवाल ....


क्या हो गया है क्यों इस तरह से
वो उजालों में जल रहे है ?
क्यों ढूँढते फिर रहे हैं अंधेरे?
क्यों झूठे ख़्वाबों में पल रहे है?
भूल गए है जिंदगी से किए वादे
भटक गए है कहाँ इरादे
क्यों अपने दिल की आवाज को
नफरत के जुनू में मसल रहे है ?
क्यों,कोई दर्द उन पर बेअसर है
क्यों उनको ख़ुद की भी नही ख़बर है
न उनको उस खुदा का डर है
किसे जेहाद कहकर वो चल रहे है?
लहू में भीगी है सुबह की लाली
है जिंदगी की हर शाम काली
हर लम्हा ख़ुद में है सवाली
क्यों वक्त के रंग वो बदल रहे है ?
सूना सा है क्यों वो मन का कोना
जहाँ खेलता था बचपन सलोना
क्यों बन कर ख़ुद में एक खिलौना
मौत से खेलने को मचल रहे है....

9 comments:

ghughutibasuti said...

इसी प्रश्न का तो कोई उत्तर नहीं मिलता।
घुघूती बासूती

MANVINDER BHIMBER said...

सूना सा है क्यों वो मन का कोना
जहाँ खेलता था बचपन सलोना
क्यों बन कर ख़ुद में एक खिलौना
मौत से खेलने को मचल रहे है....पारुल .... बहुत सुंदर लिखा है

MANVINDER BHIMBER said...

सूना सा है क्यों वो मन का कोना
जहाँ खेलता था बचपन सलोना
क्यों बन कर ख़ुद में एक खिलौना
मौत से खेलने को मचल रहे है....पारुल .... बहुत सुंदर लिखा है

समय चक्र said...

क्या हो गया है क्यों इस तरह से
वो उजालों में जल रहे है ?
क्यों ढूँढते फिर रहे हैं अंधेरे?
क्यों झूठे ख़्वाबों में पल रहे है?
rachana bahut badhiya likhi hai . dhanyawd.

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

प्रश्न गंभीर-सबका-मगर अनुत्तरित...क्यों,कोई दर्द उन पर बेअसर है
क्यों उनको ख़ुद की भी नही ख़बर है
न उनको उस खुदा का डर है
किसे जेहाद कहकर वो चल रहे है?....
...अरे भई!, अगर उसी खुदा का ही आदेश मानकर तो वे यह सब कर रहे हैं. यकीन नहीं आता तो कुरान देख लें...देखें जरूर....कोई और ट्टिपणी देने से पहले जान लेना बेहतर होगा कि आतंकवाद की जङ कहाँ है?

"अर्श" said...

ये आपने कैसा प्रश्न कर डाला जिसका जवाब ही नही है ????

अर्श

विधुल्लता said...

क्यों,कोई दर्द उन पर बेअसर है
क्यों उनको ख़ुद की भी नही ख़बर है
ye sawaal hai ...dard kaa

Ashish Maharishi said...

शायद कहीं कुछ खो गया है?

Unknown said...

bahut acchi rachna....
questions ke answer ham bhi dhoond rahe hain...

bahut hi sundar likha hai aapne..