Monday, December 1, 2008

माँ !!


अभी तो मेरी लोरी अधूरी है
तू पूरी होने से पहले सो क्यों गया ?
अभी तो चाँद पे जाना भी बाकी है
तू आसमा के सितारों में कहीं खो क्यों गया ?
अभी तो बाकी थे न जाने पूरे होने कितने ख्वाब
अभी तो आनी थी बाकी, परियां पहन के नकाब
अभी तो देने थे तेरे सारे सवालों के जवाब
उस सबसे पहले ही तू मुझ से दूर हो क्यों गया ?
वो भागना पकड़ के हाथों में नकली बन्दूक
वो मेरा कहना,कहाँ जाता है,सुन तो जरा रूक
वो कहते हुए बिलखना की, माँ !लगी है भूख
वो तेरी अनकही सी बातों का कारवां
जब दोहराया सब कुछ तो सारा आलम रो क्यों गया ?
मैं जानती हु तू हो नही सकता इतना नाराज
कि मैं पुकारू और तू आए न सुनकर भी मेरी आवाज
हमेशा की तरह आएगा तू मेरे पास भी आज
जिस आँचल से पूछे सदा तेरे आंसूं
आज उन् आसुंओं से वही आँचल तू भिगो क्यों गया ?
आती है तेरी आवाज अब भी चीर कर सन्नाटे
वो लम्हे भी सो रहे है गोद में, जो साथ थे काटे
अभी तलक तो खुशी और गम हमने थे बांटे
फिर आज तन्हा सी जिंदगी मेरे लिए संजो क्यों गया?

3 comments:

पूनम श्रीवास्तव said...

Apne Panee Panee,Duaa aur Ma teenon hee kavitaen bahut hee achchi likhi hain parul..Ma ke andar chhupee bhavnaon ko ma aur beta hee samajh sakte hain.
Apki baki donon kavitaen bhee achchee lageen par Ma..to ekdam dil kee gahraiyon men utartee chali gayee.
Meree dher saree shbadhaiyan.
Poonam.

Parul kanani said...

thanx poonam

प्रशांत मलिक said...

really touching